बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तापमान तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। रविवार को जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मुजफ्फरपुर में एक जनसभा को संबोधित किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। प्रशांत किशोर ने उन दिनों को याद किया जब वह नीतीश कुमार के साथ काम कर रहे थे और दावा किया कि उन्हीं के सुझाव पर नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर खुद यह पद संभाला था।
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प्रशांत किशोर ने कहा, “2014-15 में मैंने नीतीश कुमार की मदद की थी और उस समय हमारे गठबंधन में लालू प्रसाद यादव की पार्टी भी शामिल थी। हालांकि, उस वक्त तेजस्वी और तेज प्रताप यादव राजनीति में सक्रिय नहीं थे, लेकिन लालू यादव थे। उस समय नीतीश कुमार की छवि ऐसी थी कि बिहार में सुशासन आया था और कुछ सुधार होते हुए दिख रहे थे। यह था वो समय जब बिहार में भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगा था और विकास की शुरुआत हो रही थी।”
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पीके ने आगे कहा, “लेकिन 2014-15 के उस नीतीश कुमार और 2024-25 के नीतीश कुमार में जमीन-आसमान का फर्क है। अब नीतीश कुमार न तो एक नेता के तौर पर वही दमखम रखते हैं और न ही मुख्यमंत्री के तौर पर।” प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि उस समय बिहार की राजनीति से उनका कोई खास संबंध नहीं था। उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि बिहार में विकास हो। उन्होंने बताया, “नीतीश कुमार उस समय खुद इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था, हालांकि वह चुनाव नहीं हार थे, लेकिन उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में भारी धक्का लगा था। जदयू सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी।”
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प्रशांत किशोर ने यह भी खुलासा किया कि नवंबर 2014 में नीतीश कुमार उनसे मिलने दिल्ली आए थे। नीतीश कुमार को किसी ने बताया था कि नरेंद्र मोदी का जो अभियान चला है, उस अभियान को चलाने वाला लड़का बिहार का है, और वह लड़का कोई और नहीं बल्कि प्रशांत किशोर थे। जब नीतीश कुमार उनसे मिले, तो पीके ने उनसे सवाल किया कि “आपने मुख्यमंत्री पद क्यों छोड़ा, जबकि आप चुनाव नहीं हारे थे और लोकसभा चुनाव में जनता ने आपका साथ नहीं दिया?” नीतीश कुमार का जवाब था, “हमने काफी काम किया था, लेकिन लोगों ने हमें वोट नहीं दिया, इसलिए यह ठीक नहीं था कि मैं पद पर बना रहूं।”