बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही राज्य की राजनीति में सोशल मीडिया की भूमिका बेहद अहम हो गई है। फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म अब केवल प्रचार का जरिया नहीं बल्कि मतदाताओं तक सीधे संदेश पहुंचाने का सबसे ताकतवर माध्यम बन चुके हैं। यही वजह है कि सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के दलों से लेकर नई राजनीतिक पार्टियां भी डिजिटल मोर्चे पर पूरी ताकत झोंक रही हैं। खास बात यह है कि इस बार राजनीतिक प्रचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बने वीडियो का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है, जिससे चुनावी मुकाबला और रोचक हो गया है।
बिहार की डिजिटल राजनीति में फिलहाल सबसे आगे प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज दिखाई दे रही है। पार्टी के फेसबुक पर 21 लाख और एक्स पर करीब दो लाख फॉलोअर्स हैं। यह आंकड़ा बताता है कि नई-नवेली पार्टी होने के बावजूद जनसुराज ने इंटरनेट पर मजबूत पकड़ बना ली है और युवा मतदाताओं के बीच अपनी जगह बनाने में सफल रही है।
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वहीं, कभी तकनीकी तौर पर पिछड़ा माना जाने वाला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) आज सोशल मीडिया पर सबसे बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। राजद के फेसबुक और एक्स पर कुल 24 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। इनमें से 13 लाख फेसबुक और 11 लाख से अधिक एक्स पर सक्रिय हैं। यह सोशल मीडिया ताकत राजद को चुनावी मैदान में बड़ा फायदा पहुंचा सकती है, क्योंकि पार्टी युवा वर्ग को सीधे प्रभावित करने में सक्षम है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा-बिहार) भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। पार्टी के फेसबुक पर 11 लाख और एक्स पर सात लाख फॉलोअर्स हैं। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू नौ लाख फेसबुक और 3.11 लाख एक्स फॉलोअर्स के साथ चौथे नंबर पर है। यह आंकड़े बताते हैं कि जमीनी राजनीति के साथ-साथ डिजिटल दुनिया में भी भाजपा और जदयू गठबंधन मजबूती से डटे हुए हैं।
कांग्रेस, लोजपा (रा), वीआईपी, भाकपा-माले और माकपा जैसे दल भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, लेकिन उनकी डिजिटल मौजूदगी सीमित है। इनमें से भाकपा और रालोजपा जैसे दलों की फेसबुक पर फॉलोअर्स संख्या पांच हजार से भी कम है, जो यह दर्शाता है कि इन दलों को डिजिटल दौर में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए अभी लंबा सफर तय करना होगा।






















