प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि हजरत इमाम हुसैन (AS) द्वारा दिया गया बलिदान धर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वह लोगों को विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट में कहा, “हजरत इमाम हुसैन (ए.एस.) का बलिदान धर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। वह लोगों को विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।”
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुहर्रम के अवसर पर कर्बला के शहीदों एवं हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को नमन किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि मैदान-ए-कर्बला में अन्याय, जुल्म, अहंकार के विरूद्ध हक और सच्चाई के लिए हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों द्वारा दी गई कुर्बानी अमर है। इसे कयामत तक याद किया जायेगा। इससे प्रेरणा लेकर हमें इंसानियत, सच्चाई और भलाई के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिये।

मुख्यमंत्री ने मुहर्रम के अवसर पर राज्यवासियों से अपील की है कि वे हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हुये उनके आदर्शों को अपनायें। उन्होंने राज्यवासियों से मुहर्रम को आपसी सौहार्द्र के साथ मनाये जाने की अपील की।
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आज रविवार को पूरे देश में 10वां मुहर्रम मनाया जा रहा है, जिसे आशूरा कहा जाता है। मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है। दुनिया भर के शिया मुसलमान सार्वजनिक शोक मनाते हैं। मुस्लिम कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम का 10वां दिन इमाम हुसैन की शहादत का दिन है, जिन्हें 680 ई. में इराक के कर्बला क्षेत्र में फ़रात नदी के तट पर राजा यज़ीद की सेना ने शहीद कर दिया था। इमाम हुसैन के घिरे हुए उनके परिवार और साथियों को पीने का पानी भी नहीं दिया गया, जबकि वे फरात नदी के तट पर डेरा डाले हुए थे। यहां तक कि 6 महीने के अली असगर को भी यजीद की सेना ने पीने का पानी नहीं दिया था। इमाम हुसैन ने सच्चाई पर बुराई की सर्वोच्चता को स्वीकार करने के बजाय खुद और अपने परिवार और साथियों की कुर्बानी देने का फैसला किया।