भारत के लिए साल 2025 सिर्फ एक कैलेंडर वर्ष नहीं रहा, बल्कि यह देश की सामूहिक चेतना, आत्मगौरव और वैश्विक पहचान को मजबूती देने वाला दौर बनकर उभरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम (PM Modi Mann Ki Baat 2025) में जब बीते साल की झलकियों को साझा किया, तो यह महज उपलब्धियों की सूची नहीं थी, बल्कि एक ऐसे भारत की कहानी थी जो हर मोर्चे पर खुद पर भरोसा करना सीख चुका है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत भावनात्मक लहजे में की और कहा कि पूरे एक साल की यादें मन में घूम रही हैं। उन्होंने यह साफ किया कि 2025 ने भारत को ऐसे कई क्षण दिए, जिन पर हर नागरिक को गर्व महसूस हुआ। देश की सुरक्षा से लेकर खेल, विज्ञान, अंतरिक्ष और संस्कृति तक भारत ने यह साबित किया कि वह अब सिर्फ संभावनाओं वाला देश नहीं, बल्कि परिणाम देने वाला राष्ट्र बन चुका है।
पीएम मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए इसे 2025 का सबसे मजबूत प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने दुनिया को यह संदेश दिया कि आज का भारत अपनी सुरक्षा के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करता। इस दौरान देश के कोने-कोने से सामने आई देशभक्ति और समर्पण की तस्वीरों ने यह दिखाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की साझा भावना बन चुकी है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि यही राष्ट्रीय चेतना ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भी देखने को मिली। ‘हैशटैग वंदे मातरम 150’ के माध्यम से देशवासियों ने जिस उत्साह से अपने विचार और सुझाव साझा किए, उसने यह साबित किया कि आज की पीढ़ी भी देश की ऐतिहासिक विरासत से गहराई से जुड़ी हुई है।
खेल के क्षेत्र में 2025 को भारत के लिए ऐतिहासिक बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह साल जीत और आत्मविश्वास का प्रतीक बन गया। पुरुष क्रिकेट टीम की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में जीत, महिला क्रिकेट टीम का पहली बार विश्व कप जीतना और ब्लाइंड टी-20 वर्ल्ड कप में भारत की बेटियों का स्वर्णिम प्रदर्शन, इन सभी उपलब्धियों ने यह दिखाया कि भारतीय खेल अब वैश्विक मंच पर किसी से पीछे नहीं हैं। पैरा एथलीटों के पदकों ने यह संदेश दिया कि बाधाएं कभी भी हौसलों से बड़ी नहीं हो सकतीं।
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विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की छलांग को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने शुभांशु शुक्ला का नाम लिया, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। यह उपलब्धि केवल तकनीकी सफलता नहीं थी, बल्कि यह उस भरोसे का प्रतीक थी, जो आज भारत अपने वैज्ञानिक सामर्थ्य पर करता है।
पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण को लेकर भी 2025 को खास बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत में चीतों की संख्या 30 से अधिक होना एक सकारात्मक संकेत है। यह दिखाता है कि विकास और प्रकृति संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।
आस्था और संस्कृति के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने प्रयागराज महाकुंभ और अयोध्या राम मंदिर पर ध्वजारोहण के कार्यक्रम को राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इन आयोजनों ने दुनिया को भारत की सांस्कृतिक गहराई और संगठन क्षमता से परिचित कराया।
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स्वदेशी भावना पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2025 में लोगों के व्यवहार में स्पष्ट बदलाव देखने को मिला। देशवासी ऐसे उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिनमें भारतीय श्रम, भारतीय मिट्टी और भारतीय पहचान की खुशबू हो। यह आत्मनिर्भर भारत की सोच को जमीन पर उतारने का प्रमाण है।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2025 ने भारत को अधिक आत्मविश्वासी बनाया है और अब 2026 नई उम्मीदों, नए संकल्पों और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का अवसर लेकर आ रहा है। उनका यह संदेश साफ था कि भारत अब भविष्य का इंतजार नहीं कर रहा, बल्कि उसे खुद गढ़ रहा है।






















