नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस सैन्य अभियान के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने मंगलवार-बुधवार की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई पिछले महीने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी।
इस मुलाक़ात के दौरान दोनों नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर के परिणामों और इसके रणनीतिक महत्व पर चर्चा की। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसका उद्देश्य भारत के खिलाफ हमलों की योजना बना रहे आतंकी ढांचे को ध्वस्त करना था। यह हमला पहलगाम हमले के लगभग दो सप्ताह बाद किया गया, जिसमें ज्यादातर भारतीय पर्यटक मारे गए थे।
इस बीच, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) के पास पूंछ और राजौरी जिलों में भारी गोलीबारी की, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी बराबरी का जवाब दिया। इस गोलीबारी में दोनों ओर से नुकसान की खबरें हैं, और उत्तरी भारत में वाणिज्यिक उड़ानों को निलंबित कर दिया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार ने स्पष्ट किया कि इस अभियान में किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को निशाना नहीं बनाया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, यह हमला सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त प्रयासों से किया गया, और सभी कार्रवाइयां भारतीय क्षेत्र से ही संचालित की गईं। सरकार ने विपक्ष को भी इस ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाया था, जिसमें राजनयिक संबंधों को कम करने और एक महत्वपूर्ण जल-साझाकरण संधि में भागीदारी निलंबित करने जैसे कदम शामिल थे। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले में मारे गए 26 पर्यटकों में से एक को छोड़कर सभी भारतीय नागरिक थे, जिसके बाद भारत ने तुरंत पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है और किसी भी तटस्थ जांच में शामिल होने की बात कही है।
इस घटनाक्रम ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है, और दोनों देशों के बीच सैन्य गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति दोनों परमाणु-संपन्न देशों के बीच एक और सैन्य टकराव की आशंका को बढ़ा सकती है।