प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीवान रैली ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और उसके अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के लिए एक नई ऊर्जा भर दी है। बिक्रमगंज रैली में नाम छूटने के कारण नाराज़ चल रहे RLM कार्यकर्ताओं को अब बड़ी राहत मिली है, क्योंकि पीएम मोदी ने सीवान की जनसभा में सार्वजनिक मंच से उपेंद्र कुशवाहा का नाम लेकर संकेत दे दिया कि NDA गठबंधन में RLM को नजरअंदाज नहीं किया जा रहा।
22 दिन की बेचैनी, सीवान में खत्म
29 मई को काराकाट लोकसभा क्षेत्र के बिक्रमगंज में जब पीएम मोदी ने मंच साझा करने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा और बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का नाम नहीं लिया, तब से RLM के कार्यकर्ताओं में असंतोष और बेचैनी का माहौल था। यह बात NDA की आंतरिक राजनीति में हलचल पैदा कर गई थी।
लेकिन सीवान में आयोजित सरकारी रैली ने सारी तस्वीर बदल दी। पीएम मोदी ने न सिर्फ मंच पर मौजूद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों डिप्टी सीएम, और केंद्रीय मंत्रियों का नाम लिया, बल्कि “संसद में सहयोगी” कहकर उपेंद्र कुशवाहा और अंत में बीजेपी बिहार अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का भी जिक्र किया।
संदेश साफ: NDA गठबंधन को साधने की कोशिश
पीएम मोदी द्वारा रैली में सभी का “नाम लेना” राजनीतिक संदेश था। यह एक तरह से RLM को गठबंधन में सम्मान का भरोसा देने की कोशिश भी थी। खासकर तब, जब बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और NDA अपने सभी घटक दलों को साथ लेकर चलने की रणनीति बना रहा है।
मोदी का हमला: बाबा साहेब को दिल में रखता हूं
सीवान की रैली में पीएम मोदी ने कांग्रेस और राजद पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये पार्टियाँ बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान करती हैं — “उनकी तस्वीर को पैरों में रखती हैं, जबकि मैं उन्हें अपने दिल में रखता हूँ।” यह बयान जातिगत समीकरणों और दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश माना जा रहा है। मोदी का नीले रंग का गमछा पहनकर आना भी एक प्रतीकात्मक संदेश था, जिसे बाबा साहेब के अनुयायी और दलित समुदाय अपने सम्मान से जोड़कर देखते हैं।