प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (18 मार्च) को लोकसभा में महाकुंभ और भारत की सांस्कृतिक चेतना पर अपने विचार रखे। उन्होंने महाकुंभ को देश की शक्ति और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस आयोजन ने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक शक्ति को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि महाकुंभ जैसा आयोजन ये दिखाता है कि भारत आने वाले सालों में किस तरह आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनेगा। इसके बाद उनके इस भाषण को लेकर विपक्ष ने विरोध जताया और सदन से वॉकआउट किया।
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प्रधानमंत्री के भाषण के बाद विपक्ष ने अपनी बात रखने की मांग की, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं मिला। विपक्ष ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने एकतरफा भाषण दिया और सदन में किसी को भी अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी के महाकुंभ पर दिए गए वक्तव्य पर कहा, “मैं प्रधानमंत्री की बात का समर्थन करना चाहता था। कुंभ हमारी परंपरा है, संस्कृति है, इतिहास है। एक शिकायत थी कि प्रधानमंत्री ने जिनकी मृत्यु हुई उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दी। जो युवा कुंभ में गए उन्हें प्रधानमंत्री से रोजगार चाहिए और प्रधानमंत्री को उसपर भी बोलना चाहिए था… लोकतांत्रिक व्यवस्था में नेता प्रतिपक्ष को तो बोलने का मौका दिया जाना चाहिए था लेकिन नहीं देते हैं, यह नया भारत है।”

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस सांसद व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान पर कहा, “वे विपक्ष के नेता हैं और मुझे उन पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें लोकसभा के नियमों की जानकारी नहीं है। अगर उन्हें जानकारी होती तो वह इस तरह के सवाल नहीं उठाते क्योंकि जब प्रधानमंत्री खुद खड़े होते हैं तो उस पर सवाल नहीं पूछे जाते, उन्हें इससे अवगत भी करा दिया गया, लेकिन मीडिया में बने रहने के लिए कुछ न कुछ बोलना राहुल गांधी की आदत है।”
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वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि ‘पीएम मोदी ने मृतकों का जिक्र नहीं किया जो उनके असंवेदनशील व्यवहार को दर्शाता है. इसी वजह से विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में महाकुंभ पर प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य पर कहा, “वह महाकुंभ पर सकारात्मक बोल रहे थे… विपक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए था क्योंकि विपक्ष की भी इसके (महाकुंभ) प्रति भावनाएं हैं और अगर हम अपनी बात रखते हैं तो उन्हें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए… विपक्ष को भी दो मिनट बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए थी…”

कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी के महाकुंभ पर दिए गए वक्तव्य पर कहा, “जब से बजट सत्र शुरू हुआ है, हम पहले दिन से ही कुंभ पर चर्चा की मांग कर रहे थे। हम सकारात्मक चीजों पर बात करना चाहते थे और जो घटना हुई, उसके बारे में भी बात करना चाहते थे। लेकिन हमें चर्चा का मौका नहीं दिया गया… अब अचानक बिना किसी सूचना के प्रधानमंत्री सदन में आते हैं और महाकुंभ पर बयान देते हैं। इसमें इतनी गोपनीयता की क्या जरूरत है? ठीक है, प्रधानमंत्री ने बयान दिया लेकिन विपक्ष के नेता भी इस पर कुछ कहना चाहते थे। यह सदन की परंपरा है… उन्हें भी बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाना चाहिए था। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है…”