नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में आयोजित YUGM इनोवेशन कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित करते हुए भारत के शैक्षिक और तकनीकी भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण बातें कहीं। इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में बड़े पैमाने पर निजी निवेश को बढ़ावा देना और फ्रंटियर तकनीक में अनुसंधान से व्यावसायीकरण तक की प्रक्रिया को तेज करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल कर रहा है। उन्होंने बताया, “अब विदेशों में हमारे प्रमुख संस्थानों के कैम्पस खुल रहे हैं। भारत में भी दुनिया के टॉप संस्थानों के कैंपस खुलने की शुरुआत हो चुकी है।” यह कदम भारत को वैश्विक शिक्षा के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यूजीसी के नियमों के अनुसार, विदेशी विश्वविद्यालय अब भारत में अपने कैंपस स्थापित कर सकते हैं, जिससे भारतीय छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा अपने देश में ही प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
मोदी ने भारत के भविष्य को आकार देने में “टैलेंट, टेम्परामेंट और टेक्नोलॉजी” की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “टैलेंट, टेम्परामेंट और टेक्नोलॉजी ही भारत के भविष्य को ट्रांसफॉर्म करेगी।” यह बयान वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025 के अनुरूप है, जिसमें कहा गया है कि भारत में तकनीकी क्षेत्र में नौकरियों की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर बिग डेटा, एआई और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञों की जरूरत होगी। हालांकि, प्रतिभा की कमी और हर साल 18 मिलियन लोगों का पलायन इस क्षेत्र में चुनौतियां पेश कर रहा है।
YUGM इनोवेशन कॉन्क्लेव 2025 में कई अहम परियोजनाओं की शुरुआत भी की गई, जो भारत को नवाचार और तकनीकी प्रगति के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने की दिशा में एक कदम है। इस आयोजन में सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच साझेदारी को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, ताकि भारत ‘विकसित भारत @2047’ के अपने लक्ष्य को हासिल कर सके।
यह आयोजन भारत के नवाचार और शिक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत का प्रतीक माना जा रहा है।