नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपनी पांच दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं, जो कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह दौरा साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया तक फैला है, और इसकी शुरुआत साइप्रस से होगी, जहां वे 15-16 जून तक रहेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पिछले दो दशकों में साइप्रस की पहली यात्रा है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की उम्मीद जगाती है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा
यह यात्रा ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी का पहला विदेश दौरा है। इस संदर्भ में, साइप्रस यात्रा को क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तुर्की-पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ।
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के निमंत्रण पर हो रही इस यात्रा में सुरक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग पर गहन चर्चा होगी।
ऐतिहासिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा
साइप्रस और भारत के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं, जो गैर-संरेखित आंदोलन के समय से शुरू हुए थे। 1955 के बांडुंग सम्मेलन में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और साइप्रस के तत्कालीन नेता आर्कबिशप मकारियोस के सहयोग ने इन संबंधों की नींव रखी थी।
अब, दोनों देशों के बीच निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जिससे साइप्रस भारत के लिए यूरोप का प्रवेश द्वार बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, थॉमस कुक इंडिया और एलटीआई माइंडट्री जैसी भारतीय कंपनियां पहले से ही साइप्रस में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं।
कनाडा और क्रोएशिया में अगला पड़ाव
इसके बाद पीएम मोदी 17 जून को कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां वे द्विपक्षीय बैठकों के लिए प्रयासरत हैं। वापसी में क्रोएशिया का दौरा होगा, जो यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करेगा। डिप्लोमेसी एंड बियॉन्ड प्लस के आंकड़ों के अनुसार, 21वीं सदी में भारत-यूरोप व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और यह यात्रा इस रुझान को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम है।
महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा न केवल आर्थिक विस्तार के लिए बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। साइप्रस ने पहले भी कश्मीर और भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते जैसे मुद्दों पर भारत का समर्थन किया है, जो इस यात्रा को और रणनीतिक बनाता है।