बिहार विधानसभा का सत्र अक्सर गर्म रहता है, लेकिन इस बार का बजट सत्र में तो जैसे सियासी युद्ध ही छिड़ गया! सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी बयानबाजी ने सदन को अखाड़ा बना दिया। सत्ता और विपक्ष के बीच यह टकराव केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि बिहार की दशा और दिशा को लेकर एक बड़ा नैरेटिव गढ़ने की कोशिश भी दिखी।
तेजस्वी के तंज, नीतीश के पलटवार
4 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान तेजस्वी यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि “सरकार खटारा, सिस्टम नकारा, सीएम थका-हारा, आम आदमी मारा-मारा!” इस बयान के बाद सदन में माहौल गरमा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तुरंत पलटवार किया और कहा कि “ये बच्चा है, इसे कुछ नहीं पता! 2005 के पहले कुछ नहीं था। तुम्हारे पिता (लालू) को भी हमने ही बनाया है। तुम्हारी जाति के लोग कहते थे, ऐसा मत करो।”
पुराने पन्ने खंगालते रहे नेता, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
तेजस्वी यादव भी कहां पीछे रहने वाले थे! उन्होंने नीतीश पर हमला करते हुए कहा कि “2005 से पहले मुख्यमंत्री को पलटूराम कहने पर किसी की सदस्यता नहीं जाती थी।” इस पर नीतीश कुमार और ज्यादा आक्रामक हो गए और बोले कि “इन लोगों (RJD) ने दो बार गड़बड़ की, तो हमने हटाया। हम अब हमेशा साथ रहेंगे, अब इधर-उधर जाने वाले नहीं हैं!”
तेजस्वी ने चुटकी लेते हुए कहा कि “पुराने कागजों में उलझे दिन और रात, घड़ी देखकर भूल जाते दिन और रात। 2005 से पहले न चांद था, न तारा, न सूरज था। बोलते हैं, 2005 से पहले क्या था!” इस पर नीतीश कुमार ने बिहार की बदहाली की पुरानी कहानी दोहराते हुए कहा कि “2005 के पहले लोग शाम को घर से निकलने से डरते थे। सड़कें नहीं थीं। हिंदू-मुस्लिम झगड़े होते थे। जो काम किया, मैंने किया, आप लोगों ने नहीं!”