मुंबई: पीएम मोदी और शरद पवार की मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गर्म है। राजनितिक पडितों का मानना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कोई बड़ा फेरबदल हो सकता है। वहीं इस सियासी खेल को लोग शरद पवार की गुगली बताने से भी परहेज नहीं कर रहें है। बता दें नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनसीपी (एसपी) चीफ शरद पवार की मुलाकात के बाद राज्य की राजनीति का पारा चढ़ गया है। मोदी और पवार की मीटींग विपक्षी दलों की नींद उड़ा रही है। देखा जाए तो इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में इसको लेकर बयानबाजी भी शुरू हो गई है।
इसे लेकर विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (MVA)में शामिल शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने पीएम मोदी द्वारा शरद पवार को पानी देने पर कहा है कि पीएम मोदी कैमरे में आने के लिए इस तरह के काम करते हैं। राउत ने कहा कि एनसीपी (एसपी) के नेता शरद पवार एक वरिष्ठ नेता है। इन्हीं पवार साहब को एक बार पीएम ने भटकी आत्मा कहा था और अब भटकती आत्मा को पानी दिया है। तो क्या हो गया? राउत ने पीएम मोदी का राजनीतिक व्यापारी बताया है। मालूम हो कि 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी और शरद पवार के बीच गर्मजोशी दिखाई दी थी। वहीं इस गंठजोड़ को लेकर राजनीति की गलियारों में विष्लेष्ण की बहार छाई हुइ है।
सियासी पंडितों का मानना है कि पवार अभी तक जो कहते आए हैं उसके उलट करते आए हैं। अगर पवार बीजेपी के साथ चले जाएं तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को अपने नंबर मजबूत करना चाहती है। शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के पास आठ सांसद हैं। इसमें छह सांसदों के कभी भी साथ छोड़ने की स्थिति खड़ी हो सकती है।
बताया जा रहा कि अगर ये सांसद बीजेपी में जाएंगे तो राजनीतिक तौर पर हंगामा खड़ा हो सकता है लेकिन अगर अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी में जाते हैं तो वे यह कह सकते हैं कि वे असली एनसीपी में आ गए हैं क्योंकि पिछले साल विधानसभा स्पीकर और कोर्ट ने अजित पवार की अगुवाई वाली पार्टी को असली एनसीपी माना था। इस वजह से महाराष्ट्र में चर्चा है कि अगर शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को अपने सांसद बचाने हैं तो सत्ता के करीब जाना होगा। सत्ता पर दोनों जगह बीजेपी काबिज है।
अगर केंद्र में शरद पवार पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार को समर्थन देते हैं तो उनके सांसद न सिर्फ सुरक्षित रहेंगे बल्कि टूट का खतरा टल जाएगा। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एक उद्योगपति की पहल पर शरद पवार के बीजेपी के करीब जाने की अटकलें लगी थीं। चर्चा हुई थी कि मोदी सरकार 3.0 में सुप्रिया सुले मंत्री बन सकती हैं। इतना ही नहीं उन्हें महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है।
ऐसे में शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को पावर भी मिल जाएगी। नई दिल्ली में पीएम मोदी और शरद पवार की गर्मजोशी ने इस चर्चा को फिर से छेड़ दिया है। सुप्रिया सुले चौथी बार बारामती से जीतकर लोकसभा पहुंची हैं। अब देखना है कि मुंबई से लेकर दिल्ली के बीच राजनीति किस करवट से आगे बढ़ती है। पिछले दिनों जब आदित्य ठाकरे दिल्ली के दौरे पर गए थे तब उन्होंने शरद पवार से भेंट नहीं की थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है अगर पवार साथ आते हैं तो इंडिया गठबंधन कमजोर पड़ेगा। इतना ही नहीं बीजेपी की नीतीश और नायडू पर निर्भरता भी कम हो जाएगी।