बिहार विधानसभा का बजट सत्र सियासी हलचलों से भरा रहा। मंगलवार को सदन में एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला जब स्पीकर नंद किशोर यादव अचानक नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को ढूंढने लगे। लेकिन, तेजस्वी उस वक्त सदन में मौजूद नहीं थे। इसी बीच, संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के कुछ नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
इस दौरान, राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सदन की परंपरा रही है कि स्पीकर पहले विपक्ष की ओर मुखातिब होकर अपनी बात रखते हैं, लेकिन अब सत्ता पक्ष को प्राथमिकता दी जा रही है। इस पर नंद किशोर यादव ने जवाब देते हुए कहा कि वे हमेशा पहले विपक्ष की ओर देखते हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष अक्सर अपनी सीट पर मौजूद नहीं रहते। इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने ठहाके लगाए और सदन में हल्का-फुल्का विनोदपूर्ण माहौल बन गया।
विधानसभा में शिक्षा के मुद्दे पर संग्राम
मंगलवार को सदन में उस वक्त माहौल गरमा गया जब राजद विधायक ललित यादव ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों के निजी स्कूलों में 25% नामांकन से जुड़े सवाल उठाए। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी विधायकों ने नीतीश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी।
विपक्षी विधायक वेल तक पहुंच गए और टेबल पीटने लगे। स्थिति बिगड़ती देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुद खड़े होकर हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने विपक्षी विधायकों से कहा कि अगर कोई समस्या है तो वे लिखित में दें, सरकार एक्शन लेगी। उन्होंने आगे कहा, “मेरे खिलाफ आप जितना चाहें बोलिए, मैं ताली बजाकर आपकी आलोचना को सराहूंगा, लेकिन अगर कोई समस्या है तो लिखकर दीजिए, हम हल निकालेंगे।” हालांकि, सीएम की इस अपील का कोई असर नहीं हुआ और विपक्षी विधायकों का हंगामा जारी रहा।