बिहार विधानसभा के विशेष सत्र (Bihar Winter Session) और संसद के शीतकालीन सत्र की आहट के बीच सियासी गर्माहट अपने चरम पर पहुंच गई है। एक ओर JDU के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने विपक्ष को SIR के नाम पर “भ्रम फैलाने वाला गिरोह” करार देते हुए चुनाव आयोग की निष्पक्षता को बेदाग बताया, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने आगामी सत्र को लेकर विपक्ष को “काम रोकने वाली ताकत” बताते हुए एनडीए सरकार की प्रचंड बहुमत पर मोहर लगाई।
संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में SIR को लेकर विपक्ष ने जिस तरह आगाह किया था, चुनाव परिणामों ने उसे पूरी तरह गलत साबित किया। उन्होंने दावा किया कि SIR प्रक्रिया एक महीने में शांतिपूर्वक पूरी की गई और एक भी शिकायत ऐसी नहीं आई जिसमें किसी मतदाता ने मतदान सूची से नाम हटाए जाने की बात कही हो। झा ने बताया कि चुनाव आयोग ने अपनी पारदर्शी प्रक्रिया से यह सिद्ध कर दिया कि बिहार में लोकतंत्र मजबूत है और जनादेश स्पष्ट रूप से एनडीए के पक्ष में गया है, इसलिए विपक्ष को अब भ्रम फैलाने से बाज आना चाहिए।
वहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एनडीए सरकार की नई जिम्मेदारियों का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार कैबिनेट की पहली ही बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कई अहम फैसले लिए गए जिनसे चुनाव प्रचार के दौरान जनता से किए वादे पूरे होने की दिशा में कदम बढ़ा है। उन्होंने विधानसभा सत्र से पहले विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि विपक्ष का उद्देश्य अब सिर्फ गतिरोध पैदा करना रह गया है। उनके अनुसार, विपक्ष न खुद काम करना चाहता है और न ही सरकार को काम करने देना चाहता है, जबकि एनडीए बिहार में स्थिर और विकासोन्मुख शासन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
बिहार चुनाव के बाद बुलाए गए इस सत्र की राजनीतिक अहमियत बेहद ज्यादा है। एक दिसंबर को नव–निर्वाचित विधायकों का शपथग्रहण होगा, जिसके साथ ही नई विधानसभा औपचारिक रूप से काम शुरू कर देगी। दो दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है, जहां BJP के वरिष्ठ विधायक प्रेम कुमार का नाम सबसे आगे माना जा रहा है। हालांकि जेडीयू इस बार अध्यक्ष का पद अपने पास रखने पर जोर दे रही है, जिसे लेकर गठबंधन के भीतर गहन मंथन जारी है। माना जा रहा है कि अगले 24 घंटे के भीतर अध्यक्ष पद को लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी।
तीन दिसंबर को राज्यपाल का अभिभाषण होगा, जिसके तुरंत बाद चार दिसंबर को नई सरकार बहुमत सिद्ध करने के लिए विधानसभा में फ्लोर टेस्ट देगी। पांच दिसंबर को विनियोग विधेयक पेश किया जाएगा, जिसके साथ सत्र का राजनीतिक तापमान अपने उच्चतम बिंदु पर पहुंचने की उम्मीद है।






















