राजद विधायक रीतलाल यादव की राजनीतिक पिच पर इन दिनों तूफान आ गया है। एक ओर उनके खिलाफ रंगदारी मांगने के गंभीर आरोप, दूसरी ओर पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी, और अब गिरफ्तारी की तलवार सिर पर लटकती दिख रही है।
तांडव की पटकथा: रेड, फरारी और फॉरेंसिक सुराग
शुक्रवार को पटना पुलिस, STF और BMP की संयुक्त टीम ने करीब छह घंटे तक रीतलाल यादव के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की। खगौल के कोथवां स्थित उनके आवास, अभियंतानगर और कई अन्य जगहों को खंगाला गया। लेकिन विधायक नदारद मिले – रेड के वक्त ही फरार हो गए।
पुलिस सूत्रों की मानें तो:
- छापेमारी में 6 पेन ड्राइव बरामद हुए हैं।
- इनमें कथित रंगदारी, धमकी और लेन-देन के सबूत होने की संभावना जताई जा रही है।
- एक बिल्डर ने विधायक के खिलाफ ऑडियो क्लिप सौंपी है, जिसमें कथित वसूली की बातचीत है – जिसे अब FSL भेजा गया है।
50 लाख की दिवाली “गिफ्ट”?
FIR के मुताबिक, बिल्डर ने आरोप लगाया है कि दिवाली के मौके पर विधायक ने उसे अपने आवास पर बुलाकर 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी। बाद में बात 30 लाख पर तय हुई। इसके अलावा, 2023 में निर्माण शुरू होते ही पिंकू यादव (विधायक के भाई) ने मौके पर जाकर 19 लाख की सामग्री नष्ट कर दी और 33 लाख की मांग की।
FIR में नामजद आरोपी:
- रीतलाल यादव (विधायक)
- पिंकू यादव (भाई)
- चीकू (साला)
- धीरज (भतीजा)
- सुनील महाजन (सहयोगी)
सभी फरार हैं।
अब वारंट की बारी, गिरफ्तारी तय?
सिटी एसपी (पश्चिमी) शरथ आर.एस. ने मीडिया को बताया कि “विधायक फरार हैं, सबूतों की जांच जारी है। कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट लेने की प्रक्रिया चल रही है।” अब साफ है कि विधायक की गिरफ़्तारी महज वक्त की बात है।
“पुलिस की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित” – पत्नी का आरोप
विधायक की पत्नी रिंकू देवी का बयान भी चौंकाने वाला है। उन्होंने दावा किया कि “पुलिस ने आतंकियों जैसा सलूक किया। हमें डर है कि पुलिस मेरे पति की हत्या कर सकती है।” उन्होंने कहा कि उनके पति को परेशान करने के लिए ये कार्रवाई की जा रही है। छापेमारी में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।
दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी इस प्रकरण में कूद पड़े। उन्होंने पुलिस पर तंज कसते हुए कहा “बिहार पुलिस अब Political Tool बन चुकी है। चुनिंदा लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई क्यों? अनंत सिंह के मामले में भी पुलिस ने दावा किया, पर कोर्ट में कुछ साबित नहीं कर पाई।”
आपको बता दें कि रीतलाल यादव का नाम पहले भी विवादों से जुड़ चुका है। जेल से चुनाव जीतना हो या बाहुबल की कहानियां, उनका राजनीतिक सफर अपराध और राजनीति के उस धुंधले मोड़ पर खड़ा दिखता है, जहां नैतिकता अकसर झुक जाती है।
अब जब तकनीकी साक्ष्य, ऑडियो क्लिप, पेन ड्राइव और FIR सब पुलिस के हाथ में हैं – तो आगे की राह सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि राजनीतिक असर का भी परीक्षण होगी।