बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुए एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विपक्ष के साथ-साथ सरकार के पूर्व सहयोगी भी अब निशाना साधने लगे हैं। इस बार जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के पूर्व नेता आरसीपी सिंह ने इस फैसले पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी नाराजगी जताते हुए सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं।
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RCP सिंह ने कैबिनेट विस्तार को बताया पक्षपातपूर्ण
आरसीपी सिंह ने कैबिनेट विस्तार में सामाजिक न्याय की अनदेखी का आरोप लगाते हुए लिखा कि “अंततः बिहार में चुनाव के कुछ महीने पूर्व एनडीए सरकार में मंत्रियों के सभी पद भर दिए गए हैं। नवनियुक्त मंत्रियों को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ। लेकिन इस विस्तार में महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, यादव समाज एवं अल्पसंख्यकों की अनुपस्थिति ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के संकल्प की अनदेखी नहीं तो और क्या है? यदि कुछ और उदारता बरती जाती, तो सर्वसमाज में अच्छा संदेश जाता और समावेशी समाज की जड़ें और मजबूत होती।”
RCP के वार का क्या है सियासी मतलब?
दरअसल, आरसीपी सिंह का बयान महज नाराजगी नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है। एक समय में नीतीश कुमार के सबसे करीबी माने जाने वाले आरसीपी सिंह को 2022 में जदयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। भाजपा में भी उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं मिली। ऐसे में यह बयान उनकी राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश भी माना जा रहा है।
विशेष रूप से यादव, अल्पसंख्यक और दलित वोटरों की बात उठाकर उन्होंने राजद के वोट बैंक में सेंध लगाने की चाल चली है। यह बयान सिर्फ भाजपा या जदयू पर हमला नहीं, बल्कि एक राजनीतिक पुनर्वास की भूमिका भी लग रही है।
मंत्रिमंडल विस्तार में किन समुदायों को मिला प्रतिनिधित्व?
नीतीश कुमार और भाजपा की नई टीम में कुल 36 मंत्री हैं। इस कैबिनेट में मुख्य रूप से भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत, कुशवाहा और बनिया समाज को प्रमुखता दी गई है। लेकिन यादव, मुस्लिम, अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदाय को कम प्रतिनिधित्व मिलने को लेकर अब विपक्ष सरकार पर हमलावर हो चुका है।
हालांकि भाजपा और जदयू इस हमले को सिरे से खारिज कर रहे हैं। भाजपा का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार पूरी तरह से योग्यता और राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखकर किया गया है। वहीं, जदयू नेताओं ने कहा कि “सरकार सभी वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देना सही नहीं है।”
आरसीपी सिंह का बयान ऐसे समय आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक है। इस बयान के जरिए वह बीजेपी और जदयू के खिलाफ एक नया नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर राजद इस मुद्दे को पकड़कर पिछड़ा-अल्पसंख्यक वोट बैंक को और मजबूत करने की रणनीति बना सकता है।