बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। जदयू और भाजपा में खटास अलग ही स्तर पर जा रही है। पिछले दिनों जदयू ने भाजपा में प्रदेश उपाध्यक्ष रहने के बाद निष्कासित किए गए राजीव रंजन को जदयू में जगह दी गई। तो अब जदयू से निष्कासित पूर्व प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक को भाजपा में शामिल करा लिया है। Ajay Alok को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भाजपा में शामिल कराया। दिल्ली में हुई इस घटना से पटना की राजनीति में अचानक सरगर्मी बढ़ गई है। Ajay Alok की इंट्री से जदयू तो परेशान होगी ही, भाजपा में भी उथल-पुथल तय है।
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पटना साहिब सीट पर बना एक और कोण
अजय आलोक के भाजपा में आने से बिहार की राजधानी पटना की लोकसभा सीट सुर्खियों में आ गई है। इस सीट से 2024 में अब अजय आलोक को भी उम्मीदवार बनाने की अटकले लगने लगी हैं। हालांकि इस सीट पर अभी पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सांसद हैं। लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में रविशंकर प्रसाद को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद चर्चा इस बात की होने लगी कि 2024 में उनकी सीट भी नहीं बचेगी। अब अजय आलोक की भाजपा में एंट्री के बाद पटना साहिब सीट पर भाजपा को एक और दावेदार मिल गया है। हालांकि इस सीट पर अभी अजय आलोक अन्य कई उम्मीदवारों में से एक नाम ही हैं। भाजपा के पूर्व सांसद आरके सिन्हा के बेटे ऋतुराज सिन्हा भी इस सीट पर दावेदारी ठोक रहे हैं। उनकी दावेदारी 2019 में भी थी लेकिन तब यह सीट रविशंकर प्रसाद को मिल गई।
दिल्ली की राजनीति में अजय आलोक को इंटरेस्ट
दरअसल, अजय आलोक जब तक जदयू में रहे, उनका इस्तेमाल बतौर प्रवक्ता बेहतर तरीके से हुआ। नेशनल चैनलों पर जदयू के सबसे अधिक दिखने वाले प्रवक्ता अजय आलोक ही थे। लेकिन नीतीश कुमार से नहीं बनने के बाद उन्होंने रास्ता अलग कर लिया। भाजपा में आने के बाद पटना साहिब लोकसभा सीट पर उनकी उम्मीदवारी कई कारणों से चर्चा में है। इसका कारण ये है कि यह सीट कायस्थ बहुल है और अजय आलोक भी कायस्थ हैं। इसके अलावा अजय आलोक शुरू से ही बिहार की नहीं, दिल्ली की राजनीति करना चाहते हैं। उनकी ज्वाइनिंग भी पटना नहीं दिल्ली में हुई है। उनके आदर्श भी बिहार भाजपा के नेता या नीतियां नहीं, पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियां हैं।