जदयू नेता और बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) एक्स पर एक कविता लिख कर फंस गए हैं। अब वह बार-बार सफाई दे रहे हैं। उन्होंने फिर एक्स पर एक फोटो डालकर स्पष्ट किया कि वह जदयू के साथ हैं और नीतीश कुमार से उतना ही लगाव है.। यह तस्वीर नीतीश कुमार से आज के मुलाक़ात की है। तस्वीर के साथ अशोक चौधरी ने कैप्शन दिया है। उन्होंने लिखा है कि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, तो सुनी सुनाई बातों पर ध्यान देना ‘छोड़ दीजिये’! आज की तस्वीर मेरा नेता मेरा अभिमान।
बता दें कि नीतीश कुमार के खास अशोक चौधरी ने आज एक्स पर एक कविता पोस्ट की थी जिसके बाद से बवाल मचा हुआ था। अशोक चौधरी ने अपनी कविता में ‘बढ़ती उम्र’ का जिक्र करके इशारों ही इशारों में किस पर तंज कसा है, यह तो स्पष्ट नहीं है। लेकिन अशोक चौधरी की इस कविता के कई मायने निकाले जाने लगे। हालांकि, इस पूरे टिप्पणी के बाद जेडीयू हाईकमान ने अशोक चौधरी को तलब कर लिया। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी कविता को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी।
वहीं नीतीश कुमार से मुलकात के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि मेरा X पोस्ट जनरल था। मैं नीतीश कुमार के खिलाफ क्यों ट्वीट करूंगा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को मैं मानस पिता मानता हूं। जितना प्यार मुझे नीतीश कुमार से मिला उतना किसी को नहीं मिला होगा। कौन क्या बोलता है उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं पार्टी से नाराज नहीं हूं। हमारा लक्ष्य 2025 का चुनाव है। इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग चाहते हैं कि मैं नीतीश कुमार से दूर हो जाऊं। कविता के बारे में उन्होंने कहा कि सबकी अपनी-अपनी सोच है, किसी को ग्लास आधा खाली दिखता है किसी को आधा भरा।
‘नौवीं फेल’ तेजस्वी यादव के सपोर्ट में आए भाजपा नेता RCP सिंह… PK पर बरसे
बता दें कि बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग में मंत्री और नीतीश कुमार के खास अशोक चौधरी ने आज एक्स पर एक कविता पोस्ट की थी जिसके बाद से बवाल मचा हुआ था। अशोक चौधरी ने अपनी कविता में ‘बढ़ती उम्र’ का जिक्र करके इशारों ही इशारों में किस पर तंज कसा है, यह तो स्पष्ट नहीं है। लेकिन अशोक चौधरी की इस कविता के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि, इस पूरे टिप्पणी के बाद जेडीयू हाईकमान ने अशोक चौधरी को तलब कर लिया।
क्या लिखा है कविता में
बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।।
एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,
“छोड़ दीजिए”
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,
छोड़ दीजिए।
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें,
छोड़ दीजिए।
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,
छोड़ दीजिए।
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,
छोड़ दीजिए।
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,
छोड़ दीजिए।
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,
छोड़ दीजिए।
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,
छोड़ दीजिए।
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,
छोड दीजिए।