भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को असम में संत श्री श्री शंकरदेव की जन्मस्थली बोरदोवा थान में माथा टेकने से रोक दिया गया। पूर्व अनुमति होने के बावजूद भाजपा सरकार के इशारे पर पुलिस ने राहुल गांधी को बोरदोवा थान जाने से रोक दिया। इसके बाद राहुल गांधी पार्टी नेताओं के साथ उसी स्थान पर धरने पर बैठ गए। राहुल गांधी जिस जगह धरने पर बैठे, वहां कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने “रघुपति राघव राजाराम,पतित पावन सीताराम” भजन गाया। स्थानीय कार्यकर्ताओं को जैसे ही घटना का पता चला वे भारी संख्या में वहाँ पहुँच गए।
इस दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिए बिना निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या आज एक ही व्यक्ति मंदिर जा सकता है। राहुल गांधी ने उन्हें रोक रहे अधिकारियों से पूछा कि मैंने क्या गलती की है, मैं क्यों नहीं जा सकता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे मंदिर नहीं जाने दिया जा रहा है, ये नहीं चाहते कि मैं मंदिर जाऊं। साफ है कि ऊपर से आदेश आया है। 11 जनवरी को हमने अनुमति ली थी, मगर कल हमें कहा गया कि सब लोग जा सकते हैं, लेकिन राहुल गांधी नहीं जा सकते। अब प्रधानमंत्री मोदी फैसला करेंगे कि मंदिर कौन जा सकता है, कब जा सकता है और कब नहीं जा सकता है।
जब बार-बार अनुरोध किया तो पुलिस ने राहुल गांधी को तो अनुमति नहीं दी, पर स्थानीय कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई एवं विधायक को मंदिर जाने दिया। मंदिर से बाहर आकर गोगोई ने बताया कि राहुल गांधी जी के प्रतिनिधि के तौर पर वह और विधायक बोरदोवा थान गए। हम दोनों ने राहुल गांधी जी की सद्भावना व शांति की आशा को व्यक्त किया। बोरदोवा थान के सभी पुजारियों ने कहा कि हमारा आशीर्वाद राहुल गांधी जी के साथ है। हमने पुजारियों से कहा कि राहुल गांधी जी स्वयं आना चाहते थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि सरकार पहले से ही यहां कोई कार्यक्रम आयोजित कर रही है। लेकिन जब हम वहां पर गए, तो लगभग दस बजे तक वहां पर कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं चल रहा था। प्रशासन के द्वारा यह झूठ फैलाया गया, जिसका आदेश सीधा मुख्यमंत्री की तरफ से आया था। आज इस अफवाह से सरकार ने बोरदोवा थान के इतिहास व श्री श्री शंकर देव जी की संस्कृति पर काला दाग लगाया है।
राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा कि “भारत की सांस्कृतिक विविधता को शंकर देव जी ने भक्ति के माध्यम से एकता के सूत्र में पिरोया, लेकिन आज मुझे उन्हीं के स्थान पर माथा टेकने से रोका गया। मैंने मंदिर के बाहर से ही भगवान को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लिया। अमर्यादित सत्ता के विरुद्ध मर्यादा का यह संघर्ष हम आगे बढ़ाएंगे।”
वहीं कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 11 जनवरी, 2024 को स्थानीय कांग्रेस विधायक शिबोमणि बरुआ और एक अन्य विधायक राणा गोस्वामी ने बोरदोवा थान सत्राधिकार से मुलाकात की और उन्हें बताया कि 22 जनवरी की सुबह ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी कुछ मिनट श्री श्री शंकरदेव की पवित्र जन्मस्थली में बिताना चाहते हैं। उनकी इस इच्छा का सत्राधिकार ने स्वागत और समर्थन किया। कुछ दिनों बाद स्थानीय सांसद गौरव गोगोई ने बोरदोवा थान सत्राधिकार से मुलाकात करके राहुल गांधी की इच्छा दोहराई। एक बार फिर, उनकी इस इच्छा का स्वागत और समर्थन किया गया।
जयराम रमेश ने कहा कि 20 जनवरी की शाम को अचानक असम के मुख्यमंत्री कहते हैं कि राहुल गांधी 22 जनवरी की सुबह बोरदोवा थान नहीं जा सकते। वह उस दिन दोपहर तीन बजे के बाद जा सकते हैं। 21 जनवरी की सुबह सत्राधिकार का बयान आया कि 22 जनवरी की सुबह थान में भारी भीड़ होने की उम्मीद है, इसलिए राहुल गांधी को दोपहर तीन बजे के बाद इस पवित्र स्थल पर आना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह प्रबंधन समिति का निर्णय है। यह साफ है कि बोरदोवा थान प्रबंधन समिति पर यह निर्णय लेने के लिए असम के मुख्यमंत्री द्वारा दबाव डाला गया और उन्हें ऐसा करने के लिए दिल्ली से निर्देश मिला। आज सुबह काफ़ी देर की बातचीत के बाद सिर्फ स्थानीय सांसद और स्थानीय विधायक को बोरदोवा थान जाने की इजाज़त दी गई। यह अभूतपूर्व है कि स्थानीय सांसद और स्थानीय विधायक को अपने ही क्षेत्र में जाने के लिए इतनी देर तक बातचीत करनी पड़ी, जबकि वे तो अपने निर्वाचन क्षेत्र में कहीं भी आने-जाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होने चाहिए थे।
प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए जयराम रमेश ने कहा कि देश के अहंकराचार्य नहीं चाहते कि देश की निगाहें किसी और विषय पर हों। हम दो घंटे तक बैरिकेड के पास बैठे रहे और जब गौरव गोगोई जी और शिबोमणि बरुआ जी बोरदोवा थान से वापस आए तो हम वहां से निकले। इसका खेद है कि इन कारणों से सुबह यात्रा नहीं हो पाई।