मोदी सरनेम वाले मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी रहत मिल गई है। उनकी सांसदी अब बहाल हो जाएगी, साथ ही चुनाव लड़ने पर मंडरा रहा खतरा भी टल गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस ही नहीं I.N.D.I.A का मनोबल चौथे आसमान पर पहुंच गया है। इनसब के बीच एक बार फिर से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की सुगबुगाहट तेज हो गई है। ऐसी चर्चा हो रही है कि राहुल गांधी सितंबर महीने से भारत जोड़ो यात्रा 2.O की शुरुआत कर सकते है। चूंकि पिछली बार यात्रा दक्षिण भारत से उतर भारत तक हुई थी। इसलिए इस बार पूरब से पश्चिम या पश्चिमी से पूर्वी भारत के बीच हो सकती है। लेकिन दोनों में से कांग्रेस के लिए ज्यादा फायदेमंद क्या होगा इसको लेकर भी रणनीति जरूर बन रही होगी।
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अरुणाचल प्रदेश से शुरू हो सकती है यात्रा, हिंसा बनेगा बड़ा मुद्दा
भारत जोड़ो यात्रा फिर से शुरू करने को लेकर कोई अधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि अरुणाचल प्रदेश से भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो सकती है। मतलब पूरब से पश्चिम का प्लान हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसके मायनों को भी समझना अहम हो जाता है। दरअसल इस वक्त मणिपुर हिंसा का मुद्दा सबसे प्रमुख है। केंद्र सरकार इसको लेकर थोड़ी बैकफूट पर भी है।
ऐसे वक्त में पूर्वी राज्यों से यात्रा की शुरुआत करने का फायदा कांग्रेस को मिलने के ज्यादा आसार है। इस बार के लोकसभा चुनाव में हिंसा एक बड़ा मुद्दा बनेगा इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इसे केंद्र सरकार के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमल करेगा। इसके लिए भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस माहौल तैयार कर सकती है।
राजस्थान से एक तीर से दो निशाने का प्लान
ऐसा बताया जा रहा है कि बहुत हद तक ये संभावनाए भी है कि इस बार की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से शुरू हो। कारण ये कि कांग्रेस एक ही तीर से दो निशाने साध लेने की कोशिश कर सकती है। चूंकि लोकसभा चुनाव के पहले जिन राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव होने है उसमें राजस्थान का भी नाम शामिल है। कांग्रेस के पास राजस्थान ही सबसे बड़ा राज्य है जहां उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार है। इसलिए कांग्रेस इसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती।
वहीं लोकसभा के लिए भी यहां बाकि राज्यों की तरह क्षेत्रियों दलों से समझौता करने का भी दबाव कांग्रेस के पास नहीं है। यहां उसकी सीधी लड़ाई भाजपा से है। इसलिए यहां खुद को मजबूत करना उसकी पहली जरुरत है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राजस्थान में जहां कांग्रेस कमजोर है वहां पकड़ बनाने की कोशिश की जा सकती है। जिसका फायदा विधानसभा और लोकसभा चुनाव दोनों में मिल सकता है। बताया ऐसा भी जा रहा है कि सबसे अधिक दिनों तक भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में ही हो सकती है।