बिहार की 40 लोकसभा सीटों को NDA ने सोमवार को बांट लिया है। इस बीच अब सभी की नजर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा पर है। वहीं सीट शेयरिंग की घोषणा से ही एनडीए के कई सांसदों के टिकट पर संकट के बादल छा गए हैं। ऐसे नेताओं को या तो किसी दूसरी तरह सेट किया जाएगा या फिर इनका पत्ता कट सकता है। बता दें कि किसी भी दल ने अब तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। लेकिन सीट शेयरिंग से कहीं न कहीं ये साफ हो गया है कि कुछ सांसदों पर खतरा मंडरा सकता है।
बता दें कि सीट बंटवारे में तय फार्मूले के मुताबिक जेडीयू ने अपनी दो सीटिंग सीट छोड़ी। गया सीट जीतन राम मांझी को मिला, यहां से जेडीयू के विजय मांझी सांसद हैं। वहीं काराकाट सीट उपेंद्र कुशवाहा को मिला, यहां से जेडीयू के महाबली सिंह सांसद हैं। ऐसे में शिवहर सीट जेडीयू को दिया गया, यहां से भाजपा की रमा देवी सांसद हैं। पशुपति कुमार पारस की पार्टी RLJP को एनडीए गठबंधन से बाहर किया गया। हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस की सीट चिराग पासवान के खाते में गई है। वहीं समस्तीपुर से प्रिंस राज सांसद हैं, उनकी पार्टी RLJP अब एनडीए की हिस्सा नहीं है। खगड़िया से महबूब अली कैसर RLJP के सांसद हैं, अब वो भी बेटिकट हो गए। नवादा से चंदन सिंह (सूरजभान सिंह के भाई) सांसद हैं, पारस गुट एनडीए से बाहर हैं। वैशाली से वीणा देवी सांसद हैं, एनडीए के टिकट से वो भी बेदखल हो गई।
अनुमान लगाया जा रहा है कि जब उम्मीदवारों के नाम का एलान होगा तो और भी कई सांसदों का टिकट कट सकता है। सबसे ज्यादा फायदे में चिराग पासवान रहे। जेडीयू के दो तो बीजेपी के एक सांसद की उम्मीदवारी खतरे में पड़ गई। जबकि, पांच सांसदों का दावा करने वाले पारस गुट को एनडीए का पार्टनर तक नहीं बनाया गया।