तेजस्वी यादव का एक सोशल साईट पर पोस्ट सामने आया है। जहां उन्होंने ज्ञानव्यापी मस्जिद में रखा शिवलिंग बताए जाने को लेकर कहा है कि इसे ही ज्ञानव्यापी मस्जिद में रखा शिवलिंग बताया जा रहा है। सुबह से इंतज़ार कर रहा था कि कोई 4 फ़ीट का शिवलिंग बता रहा, कोई 12 फ़ीट का। अगर असल में शिवलिंग है तो अब तक तस्वीर क्यों बाहर नहीं आयी। एडवोकेट मोहम्मद असद हयात के अनुसार वजू खाने में ये जो मिला है, ये शिवलिंग नहीं है बल्कि हौज़ के अंदर टूटा फ़व्वारा है।
जो काम भाजपा को करना था, कर दिया
वहीं उन्होंने आगे लिखा है कि ये किस एंगल से शिवलिंग नज़र आ रहा है? लेकिन अब क्या है? अब तक तो पूरे देश में ये झूठ फैलाया जा चुका है कि वजूखाने में शिवलिंग मिला है, मुसलमान अपने पैरों को यहीं धोते थे। भाजपा का मीडिया नेटवर्क इतना बड़ा है कि हम जैसों के पोस्ट से उसे .05% फ़र्क़ नहीं पड़ता। जो काम भाजपा को करना था, कर दिया।
अतीत में देवी देवताओं के साथ खड्यंत्र हुआ
बता दें कि इसके पहले कल ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचोल ने कहा था कि केवल काशी विश्वनाथ की बात नही है। अतीत में हमारे देवी देवताओं के साथ खड्यंत्र हुआ हैं। वहीं उन्होंने आगे कहा कि हमारे पौराणिक स्थल दें नहीं तो 30 हजार मंदिर तोड़कर जो मस्जिद बना हैं उस पर हमारा दावा रहेगा। बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में अदालत द्वारा अनिवार्य वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का अंतिम चरण बीते सोमवार को पूरा हो गया था।
सर्वे में कोर्ट कमिश्नर की मदद के लिए दो और एडवोकेट नियुक्त
अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्तों के नेतृत्व में एक सर्वेक्षण दल और दोनों पक्षों के वकीलों के साथ पुलिस कर्मियों ने मस्जिद परिसर में अभियान चलाया। कोर्ट ने सर्वे में कोर्ट कमिश्नर की मदद के लिए दो और एडवोकेट नियुक्त किए थे। न्यायाधीश ने 17 मई यानि आज सर्वेक्षण रिपोर्ट उसके समक्ष प्रस्तुत करने को कहा था। जिला अदालत ने आदेश दिया था कि यदि कुछ परिसर के लिए चाबियां उपलब्ध नहीं हैं तो ताले तोड़ दिए जाने चाहिए और सर्वेक्षण की अनुमति नहीं देने पर जिला अधिकारियों को प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया था।