भाजपा ने उत्तर भारत के राज्यों में अपनी पहचान और पकड़ तो मजबूत कर ली है। लेकिन भाजपा की कई कोशिशों के बावजूद उसकी पकड़ दक्षिण भारत के राज्यों में खास नहीं बनी। कर्नाटक पहला दक्षिण भारतीय राज्य है, जहां भाजपा की सरकार भी बनी। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वहां भी अपनी स्थिति मजबूत करते हुए सरकार बना ली। वैसे कांग्रेस से हारने के बाद भी भाजपा को एक फायदा हुआ कि जेडीएस ने एनडीए में आने की हामी भर दी। लेकिन अब एक और राज्य में भाजपा को गठबंधन के लिए नया साथी मिल रहा है।
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दक्षिण भारत के ज्यादातर राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन विधानसभा और लोकसभा के स्तर पर खास नहीं है। कुछ सीटें मिल जाती हैं, लेकिन बड़ी भूमिका से भाजपा आज भी इन राज्यों में देर है। इन्हीं राज्यों में शामिल है, जहां भाजपा अब तक तीसरा मोर्चा बनने का प्रयास करती रही है। आंध्र प्रदेश में सरकार वाईएसआर की है और जगनमोहन रेड्डी सीएम हैं। वाईएसआर ने भाजपा से दोस्ती नहीं रखी है। हालांकि कई मौके ऐसे आए हैं, जब वाईएसआर को भाजपा या कांग्रेस के समर्थन में से एक का चुनाव करना पड़ा है तो जगनमोहन रेड्डी ने भाजपा का साथ दिया है। लेकिन इतने साथ के बाद भी वाईएसआर ने कभी एनडीए में शामिल होना स्वीकार नहीं किया है।
गठबंधन की राह पर भाजपा और टीडीपी
दरअसल, अभी आंध्रप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव साथ होने हैं। ऐसे में वहां राजनीतिक माहौल दूसरे कई राज्यों से अधिक गरम है। इसी गरमागरमी में भाजपा को तेलगु देशम पार्टी (TDP) का साथ मिल रहा है। चर्चा है कि बीजेपी-टीडीपी गठबंधन पर जल्द मुहर लगेगी। सीटों के बंटवारे का भी हिसाब लगभग तय है। भाजपा 6 लोकसभा और 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में वाईएसआर ने 175 में से 151 सीटें जीती थी। जबकि चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को महज 23 सीटें मिली थी। भाजपा तब वहां कोई सीट नहीं जीत सकी थी। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में 25 सीटों में 22 वाईएसआर ने जीती थी और टीडीपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा लोकसभा चुनाव में लगातार 2 चुनावों में स्पष्ट बहुमत पाने के बावजूद आंध्रप्रदेश में खाता नहीं खोल सकी थी।