बिहार में BJP और JDU की जोड़ी पर अभी तक किसी की नज़र नहीं लगी है। यहीं वजह है कि राज्य में 78+44 का फॉर्मूला अभी भी बरकरार है। साथ ही दोनों ही पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में भी इस फॉर्मूले के साथ इलेक्शन लड़ने की प्लानिंग कर रहे है। वहीं, कई राजनीतिक विशेषों का कहना है कि इस बार भी डबल इंजन सरकार के लिए ’77’ अंक वाली पार्टी काल बनकर सिर पर पर मंडरा सकती है।
दरअसल, 2020 के चुनाव परिणाम की बात करें तो काफी उथल-पुथल के बाद भाजपा प्रदेश की सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी बनी हुई है। भाजपा के पास 78 विधायक है। वहीं दूसरे नंबर पर तेजस्वी की की पार्टी राजद है, जिनके पास 77 विधायक है। इसके अलावा तीसरे स्थान पर 44 विधायकों के साथ सीएम नीतीश की पार्टी जदयू है। हालांकि भाजपा को मांझी का भी साथ मिला हुआ है, जिससे की की पार्टी और मजबूत स्थिति में बनी हुई है।
लेकिन इन सभी के बीच अभी भी एनडीए सरकार को ’77’ अंक वाली पार्टी से काफी डर लग रहा है। तेजस्वी यादव अभी से ही बिहार यात्रा पर निकलने वाले है। ऐसे में डबल इंजन की सरकार को बेहद सावधानी से चुनाव की तैयारी करनी होगी। साथ ही लोकसभा चुनाव से सिख लेते हुए विपक्ष को हल्के में आंकने की गलती नहीं करनी होगी।