आनंद मोहन की रिहाई को लेकर पक्ष विपक्ष एक दूसरे पर पलटवार हैं इस बीच बीजेपी भी दो खेमे में बंटती नजर आ रही हैं एक तरह जहां बीजेपी के कुछ नेता खुलकर समर्थन दे रहे, वहीं दूसरी तरफ कुछ नेता द्वारा खुल कर विरोध किया जा रहा हैं। बिधानसभा में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा जहां आनंद मोहन की रिहाई का खुलकर विरोध कर रहे वहीं पूर्व मंत्री नीरज सिंह बबलू ने उनकी रिहाई का स्वागत किया है। जबकि जदयू इसे संवैधानिक प्रक्रिया मान रही है।
अपराधियों को छोड़ना पकड़ना न्यायालय का काम है ना की सरकार का
नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा है उन्होंने कहा कि अपराधियों को छोड़ना पकड़ना न्यायालय का काम है ना की सरकार का। आनंद मोहन की रिहाई का मामला कोर्ट देखती ना की सरकार। सरकार असंवैधानिक रुप से फैसला कर उन्माद का माहौल फैला रही हैं। 27अपराधियों को छोड़ बिहार में फिर से जंगलराज की वापसी करवाई जा रही हैं। बिहार की जनता सब देख रही है।
पहले सजा पूरी करने वाले कैदियों की रिहाई होती थी अब क्यूं नहीं
वहीं बीजेपी एमएलए और पूर्व मंत्री नीरज सिंह बबलू ने आनंद की रिहाई का स्वागत किया है उन्होंने कहा कि वो सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं आनंद मोहन के साथ 26 अन्य कैदी को छोड़ने को लेकर कहा कि पहले सरकार सजा पूरी करने वाले कैदी को 26 जनवरी और 15 अगस्त को रिहा करती थी। लेकिन अभी यह नहीं हो रहा है। अभी भी कई ऐसे कैदी हैं जिनकी सजा पूरी हो गई हैं लेकिन उनको रिहाई नहीं मिली। सरकार को उनके बारे में भी सोचना चाहिए।
कुछ लोगों को राजनीतिक जमीन खिसकने का डर-जदयू
वहीं आनंद मोहन की रिहाई को लेकर जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि कुछ लोग आनंद मोहन का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है आनंद मोहन के बाहर आने से उनकी राजनीतिक जमीन खिसक जाएगी। आगे उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई संवैधानिक तरीके से हुई है, जेल में उनका आचरण ठीक था जिसकी वजह से सरकार ने संविधान के तहत उन्हें छोड़ा है और जिन लोगों को उनके छोड़ने पर आपत्ति हो रही हैं उन्हें समझना चाहिए कि यह कानूनी प्रक्रिया है और कानून और राजनीतिक अलग है, उन्हें एक करने की कोशिश ना करें।