साल 1999 में देश के प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी। पहली बार भाजपा की उसी सरकार ने केंद्र में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उस सरकार के गठन में 34 दल शामिल थे। यह एक रिकॉर्ड ही था। अब भाजपा के नाम एक और रिकॉर्ड आया है कि बिहार में भाजपा के साथ कोई है ही नहीं। बात बिहार विधानमंडल की है, जहां भाजपा के समर्थन में ऐसा कोई दल नहीं है जो विधानसभा या विधान परिषद में उसके साथ खड़ा हो। ये नई भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का अभियान है कि विपक्ष में भाजपा के अलावा सिर्फ एक विधायक है और भाजपा को उसका भी समर्थन नहीं है।
सात दलों का लिखित समर्थन
एक तरफ भाजपा बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में अकेली पड़ गई है। तो दूसरी ओर सरकार के समर्थन में कुल सात दल सामने हैं। इसमें जदयू, राजद, कांग्रेस, हम, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआईएमएल और एक निर्दलीय शामिल हैं। इनके अलावा AIMIM के अकेले बचे विधायक सत्तापक्ष में बैठी महागठबंधन सरकार और विपक्ष में बैठी भाजपा से बराबर की दूरी बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि 24 अगस्त को विधानसभा का एक दिन का सत्र होना है।
बिहार विधानमंडल में वर्षवार विपक्ष की स्थिति
- 1990 – कांग्रेस, वाम दल
- 1995 – कांग्रेस, भाजपा, समता, वाम दल
- 2000 – भाजपा, समता, वाम दल
- 2005 मार्च – भाजपा, जदयू, लोजपा, बसपा
- 2005 नवंबर – राजद, वाम दल, लोजपा, बसपा
- 2010 – राजद, वाम दल, लोजपा
- 2013 – भाजपा, वाम दल, लोजपा
- 2015 – भाजपा, वाम दल, लोजपा
- 2017 – राजद, कांग्रेस, वाम दल, लोजपा
- 2020 – राजद, कांग्रेस, वाम दल, एआईएमआईएम
- 2022 अगस्त – भाजपा
बिहार विधानसभा में अभी दलों की स्थिति
- राजद : 79
- भाजपा : 76
- जदयू : 45
- कांग्रेस : 19
- भाकपा माले : 12
- हम सेक्युलर : 04
- भाकपा : 02
- माकपा : 02
- AIMIM : 01
- निर्दलीय : 01
- रिक्त पद : 02 (राजद विधायक अनंत सिंह की सदस्यता समाप्त होने और भाजपा विधायक सुभाष सिंह के निधन से दो सीटें रिक्त हैं)