2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई में अभी लगभग एक साल का समय है। लेकिन लड़ाई का मैदान अभी से सजना शुरू हो चुका है। एक ओर कई विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट होने के प्रयास में लगे हुए हैं। वही दूसरी तरफ भाजपा भी उन हथियारों के तलाश में थी जिसे लेकर वो चुनावी मैदान में उतरेगी। आखिरकार आज प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को वो हथियार थमा दिया है,जिसे लेकर उन्हें 2024 की चुनावी लड़ाई में उतरना है। भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मोदी मंत्र मिल गया है । भाजपा के ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ कार्यक्रम को संबोधित करते ही प्रधानमंत्री मोदी ने इशारों-इशारों में 2024 का एजेंडा तय कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी के बयानों से साफ पता चलता है कि इस बार भाजपा का फोकस पसमांदा मुस्लिम, मुस्लिम महिलाओं और UCC( युनिफोर्म सिविल कोड) पर है।
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‘एक परिवार के लिए एक कानून होना चाहिए’
भाजपा के घोषणा पत्र में कई ऐसे दावे किए गए थे जिसको लेकर विवाद था। जैसे जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने, राम मंदिर बनवाने और देश में UCC लागू करना। धारा 370 हटा दी गई, राम मंदिर निर्माणाधीन है। अब भाजपा की नजर अपने तीसरे वादे पर है जो वो अब तक पूरा नहीं कर पाई है। UCC मतलब एक देश एक कानून से है। अब भाजपा का प्लान 2024 के चुनाव में UCC को मुद्दा बनाने का है। इसकी झलक प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में देखने को मिली। उन्होंने कहा कि “आज हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है।
एक घर में परिवार के सदस्य के लिए एक कानून हो, परिवार के दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।”
‘वोटबैंक के भूखे लोग तीन तलाक के पक्षधर’
मुस्लिम महिलाओं को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा ने तीन तलाक के रूप में पहले ही बड़ा दांव चल चुकी है। इस दांव को वो आने वाले चुनाव में भी भुनानाने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीन तलाक के पक्षधरो पर जमकर हमला किया है। उन्होंने कहा कि “जो भी तीन तलाक के पक्ष में बात करते हैं, वकालत करते हैं, ये वोटबैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। तीन तलाक से नुकसान का दायरा बड़ा है। बहुत अरमानों से पिता अपनी बेटी को ससुराल भेजता है। 8-10 साल बाद बेटी वापस आती है, तो उसका भाई, पिता सब उसकी चिंता में दुखी हो जाता हैं।
तीन तलाक का इस्लाम से संबंध होता तो दुनिया के मुस्लिम बहुल्य देश इसे खत्म नहीं करते। मिस्र में 90% से ज्यादा सुन्नी मुस्लिम हैं। 80-90 साल पहले वहां तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो चुकी है। अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश में क्यों नहीं है। मुस्लिम बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाकर कुछ लोग उन पर हमेशा अत्याचार करने की खुली छूट चाहते हैं। इसीलिए मेरी मुस्लिम बहनें, बेटियां भाजपा और मोदी के साथ हैं।”
‘पसमांदा मुस्लिमों पर भी नजर’
पसमांदा मुस्लिमों पर तो भाजपा की काफी पहले से नजर है। सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े पसमांदा मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा काफी समय से प्रयासरत है। आज भी पसमांदा मुस्लिम को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कई बात कही। उन्होंने कहा कि “पसमांदा मुस्लिम भाई-बहन हैं। वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने इनका तो जीना मुश्किल करके रखा है। वे तबाह हो गए, कोई फायदा नहीं मिला। कष्ट में गुजारा करते हैं। उनकी आवाज सुनने के लिए कोई तैयार नहीं। उनके ही धर्म के एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का शोषण किया है। इस पर देश में कभी चर्चा नहीं हुई।
इनके साथ भेदभाव हुआ। इसका नतीजा इनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा। भाजपा सबका विकास, सबका साथ की भावना से काम कर रही है। तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर प्रधानमंत्री से उत्तरप्रदेश की BJP कार्यकर्ता रानी चौरसिया ने सवाल पूछा था- तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर मुस्लिम भाई-बहनों का भ्रम कैसे दूर करें?”