पूरे देश में अभी लोकसभा का चुनाव हो रहा है। जहां अब पांचवे चरण का मतदान 20 मई यानी की 4 दिन बाद सोमवार को होने वाला है। वहीं, इस सब के बीच बक्सर सीट का राजनीतिक समीकरण बिगड़ गया हैं। यहां से दो निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। इससे एनडीए और महागठबंधन के राजनीतिक समीकरण बिगड़ गए हैं।
बता दें कि कभी लालू यादव के हनुमान कहे जाने वाले ददन पहलवान ने बक्सर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र भरा है। इस वजह से घटक दलों में बेचैनी बढ़ी हुई है। वहीं, चुनावी जंग को लेकर ददन पहलवान ने कहा कि जब जगतानंद सिंह को मैंने रामगढ़ में पहले शिकस्त दी है। उनसे ज्यादा मैंने वोट रामगढ़ में लिया था, तो अब उनका बेटा क्या चुनाव जीत पाएगा?
ददन पहलवान ने कहा कि राजपूत जाति के लोग सुधाकर सिंह को वोट इस बार नहीं कर रहे हैं। सुधाकर सिंह तो शुद्ध भाजपाई हैं। वहीं, यादव जाति के लोग इस बार मुझे वोट कर रहे हैं। सुधाकर सिंह तो रामगढ़ में यादव, कोईरी और ब्राह्मण की निजी जमीन को तालाब कटवा कर कब्जा कर लिया है। उन्होंने एनडीए प्रत्याशी के बारे में कहा कि वह नेपाल के तराई से बक्सर में आए हैं, जो यहां के लोगों को नहीं जानते। यहां के गांव के बारे में नहीं जानते। यह तो बाबा का चेला है। वहीं, अश्विनी चौबे कई ग्रामीण इलाकों में अपने फंड से काम तक नहीं कराए हैं।
बता दें कि ददन पहलवान ने 3 बार निर्दलीय और 1 बार जदयू के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ददन पहलवान 2004 में चुनाव जीते थे। उसके बाद 2009 में फिर 2014 में भी निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं। तीनों बार चुनाव लड़ने के बाद उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें दूसरे या तीसरे स्थान पर वोट मिला था। वहीं, ददन पहलवान यादव तीन बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसमें भी हार का सामना करना पड़ा था।