देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बच चुका है। चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है। नेताओं द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। ऐसे में अब नेता जनता को लुभाने के लिए कई तरह के हड़कंडे अपना रहे है। वहीं झारखंड में अब इसे लेकर जनता में अलग खुशी देखी जा रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर चंपई सोरेन ने सियासी रण में ताल ठोकना शुरू कर दिया है। चंपई सोरेन ने स्पष्ट किया कि झामुमो कोल्हान की दोनों सीटों पर वे चुनाव लड़ेगें।
माइकल जॉन ऑडिटोरियम में शुक्रवार को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में चंपई सोरेन ने यह स्पष्ट कर दिया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) कोल्हान की दोनों सीटों (जमशेदपुर और सिंहभूम) पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। दरअसल, सिंहभूम सीट पर कांग्रेस की शुरुआत से दबदबा रहा है। चुनाव से पहले गीता कोड़ा ने साथ छोड़कर कांग्रेस की पकड़ ढीली कर दी।
चंपई सोरेन ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों ही सीटों पर गंभीरतापूर्वक चुनाव लड़कर जीत हासिल करना है। वहीं, कार्यकर्ताओं का उत्साह देख सीएम खुश नजर आ रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि अब चुनाव का समय आ गया है। एकाध दिनों के अंदर आचार संहिता लागू हो जाएगा। बता दें कि जिस सीट से चंपई सोरेन चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, वहां से कांग्रेस के नेता चुनाव लड़ते हैं।
चंपई सोरेन ने कहा कि अगर आपको किसी से नाराजगी है तो उसे साइड रखकर उन्हें संगठन से जोड़ना जरूरी है। बूथ स्तर तक काम करना होगा। बूथ कमेटी को कैसे मजबूत करना है, इस पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने पार्टी की जिला, प्रखंड के साथ-साथ पंचायत कमेटियों के पदाधिकारियों से कहा कि गांव में जाइए और ग्रामीणों को यह बताइए की हेमंत सरकार ने उनके लिए अबुआ आवास, सर्वजन पेंशन, विद्यार्थियों के लिए गुरुजी क्रेडिट कार्ड जैसी उपयोगी योजनाएं शुरू की है।
वहीं, विपक्ष पर हमला बोलते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि झामुमो सरकार ने हर संभव समस्याओं को निपटाने और विकास कार्य करने का प्रयास किया। लेकिन विपक्ष ने तरह-तरह से अवरोध उत्पन्न किया गया। इससे परेशानी आई है। जानबूझ कर ईडी और इनकम टैक्स का केस में फंसाया गया और हेमंत सोरेन जी को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया। पिछले 18 सालों में जो सरकारें काम नहीं कर सकी, उसे हमने तीन सालों में कर दिखाया।
उन्होंने बताया कि उनकी सरकार के शुरुआती दो वर्ष तो कोरोना से लड़ने में ही बीत गए। उस दौरान कोई खास कार्य नहीं हो सका। लेकिन बचे तीन सालों में हेमंत सोरेन सरकार ने विपक्ष के अवरोध के बावजूद पूरे उत्साह से काम किया।