शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर बिहार विधानसभा में बजट सत्र के दौरान पत्रकारों से कहा कि रामचरितमानस में जो कचरा है उसे हटाना जरूरी है। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर अपने पुराने बयानों पर न केवल कायम हैं, बल्कि दो कदम आगे बढ़ गए हैं। रामचरितमानस को समाज को तोड़ने वाला बताकर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पिछले दिनों नीतीश सरकार की खूब फजीहत कराई थी। जिसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी थी। लेकिन सीएम के मना करने के बावजूद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरितमानस में लिखे गए श्लोकों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
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आपत्तिजनक बातों को अमृत कैसे समझ लें
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस का श्लोक पढ़ते हुए कहा कि अभी एक श्लोक पढ़े हैं, अभी तो दर्जनों ऐसे श्लोक रामचरितमानस में लिखे गए हैं। उन्होंने कहा कि जाति के नाम पर दलितों को अपमानित करना बंद होना चाहिए। रामचरितमानस में कही गई आपत्तिजनक बातों को अमृत कैसे समझ लें। देश को जो लोग चला रहे हैं उनके सामने सवाल उठाया है, इसे बदलवाना मेरे बस में नहीं है लेकिन रामचरितमानस में जो कचरा है उसे हटाना जरूरी है। हालांकि मंत्री ने यह भी कहा कि रामचरितमानस में बहुत सी अच्छी बातें भी हैं लेकिन जो कूड़ा-कचरा है उसे हटाना चाहिए।
कहा- शूद्र को मना था पढ़ना
शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि शूद्र अब पढ़ लिख गया है भाई। बाबा साहब अंबेडकर, महात्मा फुले, लोहिया जी, वीपी सिंह का आशीर्वाद-कृपा है। हजारों साल पहले उनको पढ़ने का मना था भाई।” तब अपमानजनक कही गई बातों को भी सम्मान समझता था। अब पढ़-लिख गया है। अब आपत्तिजनक और अपमानजनक बातों को आशीर्वाद और अमृत कैसे मान ले? जो देश को चला रहे, उनके सामने मैंने अपनी बात रखी है कि वह रामायण के कचरे को हटाएं। राम मनोहर लोहिया ने भी कचरा हटाने कहा था। मैं लोहिया या अंबेडकर से बड़ा नहीं हूं। इस दौरान शिक्षा मंत्री ने कुमार विश्वास का नाम लिए बिना कहा कि चैरिटी शो के जरिए ज्ञान को बेचने वाले लोग आने वाले तो थे, क्या हुआ।