बिहार में संघ लोक सेवा आयोग में लेटरल एंट्री के मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है। अब चिराग पासवान ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। चिराग पासवान लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भड़क गए हैं। उन्होंने कहा कि वह इसके समर्थन में नहीं हैं। केंद्र सरकार के सामने इस मुद्दे को जरूर उठाएंगे। चिराग ने कहा कि इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए। निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी इसे लागू नहीं किया जाता है… तो यह मेरे लिए चिंता का विषय है।
संघ लोक सेवा आयोग ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी कर केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर “पार्श्व भर्ती के लिए प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों” के लिए आवेदन मांगे। इसपर नौकरशाही में 45 पदों पर लेटरल एंट्री की आलोचना करने वाले पासवान पहले एनडीए सहयोगी हैं।
पासवान ने पीटीआई-भाषा से कहा कि सरकार के सदस्य के रूप में उनके पास इस मुद्दे को उठाने के लिए मंच है और वह इस मुद्दे को जरूर उठाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जहां तक उनकी पार्टी का सवाल है, वह इस तरह के कदम के बिल्कुल भी समर्थन में नहीं है। बता दें कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पिछले शनिवार को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री मोड के माध्यम से भरे जाने वाले 45 पदों (संयुक्त सचिवों के 10 और निदेशकों/उप सचिवों के 35) का विज्ञापन दिया था।
विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना करते हुए दावा किया कि इससे एससी, एसटी और ओबीसी से आरक्षण छीन लिया जाएगा। भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि एनडीए सरकार कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए द्वारा शुरू की गई भर्ती के इस तरीके में पारदर्शिता ला रही है। वहीं, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने यह भी आरोप लगाया कि यह भाजपा द्वारा अपने वैचारिक सहयोगियों को पिछले दरवाजे से उच्च पदों पर नियुक्त करने की एक साजिश है।