इंडी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह इंडी गठबंधन की सहयोगी दलें है। कांग्रेस इन दिनों सहयोगी दलों के निशाने पर है। हर दिन कोई ना कोई नया दल सामने आकर नेतृत्व करने की बात कह रहा है। इस बार ममता बनर्जी ने कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि सहयोगी दल अपने बलबूते राजनीति करने लगें और कांग्रेस का साथ छोड़ दें तो लोकसभा में उसका ग्राफ नीचे आ जाएगा।
दरअसल, संसद में कांग्रेस द्वारा अदानी मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। तभी अचानक तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने बयान देते हुए कहा कि मैं इंडी गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हूं। उनके इस बयान के बाद से पूरा प्रदर्शन ही बदल गया। इससे यह बातें साफ होने लगी कि गठबंधन के सभी दल अदानी मामले को तूल देने को तैयार नहीं है। वहीं कांग्रेस ममता बनर्जी के इस उखाड़ के बाद से काफी बेचैन नजर आ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि जब कांग्रेस के नेतृत्व में आइएनडीआइए का गठन हुआ था तो यह माना गया था कि यह गठबंधन अपनी वैकल्पिक नीतियों और विचारों के जरिये भाजपा का मुकाबला करने के साथ ही देश को राजनीतिक दिशा देने का भी काम करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आइएनडीआइए के घटकों में खींचतान यही बताती है कि कांग्रेस के लिए अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल करना एक मुश्किल काम है। यह मुश्किल कांग्रेस ने अपने रवैये से ही खड़ी की है। इंडी गठबंधन अभी तक आपसी विवादों में ही उलझी नज़र आ रही है, इससे जनता का इंडी गठबंधन पर भरोसा कमजोर होता नज़र आ रहा है।