बिहार में कांग्रेस विधानसभा चुनाव के पहले खुद को मजबूत करना चाहती है। लेकिन यह काम कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बूते से ज्यादा नेताओं के बूते करना चाहती है। कुछ ऐसा ही प्रशांत किशोर ने किया है। पार्टी की स्थापना से पहले प्रशांत किशोर ने रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस सहित तमाम बड़े प्रोफेशनल्स को अपनी पार्टी से जोड़ा। इन सभी को जनसुराज का नेता माना जाने लगा है। अब कांग्रेस ने भी कुछ यही दांव अलग अंदाज में आजमाया है। कांग्रेस ने बिहार के दो नेताओं को दिल्ली में अपनी पार्टी में शामिल कराया। इन दोनों में एक अल्पसंख्यक समाज के नेता हैं, जबकि दूसरे मांझी समाज के। कांग्रेस के इस कदम से यह चर्चा तो जरुर हो रही है कि कांग्रेस ने यह दांव विधानसभा चुनाव में जातीय गोलबंदी अपने पक्ष में करने के लिए उठाया है। लेकिन इन दोनों नेताओं में से किसी ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि इनमें शामिल अली अनवर सांसद जरूर रहे हैं लेकिन वो भी सत्ताधारी जदयू के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे हैं। जबकि दूसरे नेता भागीरथ मांझी ने लोकसभा चुनाव से पहले जदयू का दामन थामा था। अब विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में आ गए हैं।
अली अनवर, अपने खास अंदाज और पसमांदा मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की लड़ाई के लिए जाने जाते हैं। पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अली अनवर ने समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के लिए आवाज उठाई। पसमांदा मुस्लिम समाज, जो आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ है, उनकी राजनीति का केंद्रबिंदु रहा। 1990 के दशक में उन्होंने पसमांदा मुसलमानों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की। उन्होंने “ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महासंघ” की स्थापना की।
अली अनवर को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने 2006 में राज्यसभा भेजा। उनका कार्यकाल 2006 से 2012 और फिर 2012 से 2018 तक दो बार चला। 2017 में जेडीयू ने बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन किया, जिसका अली अनवर ने खुलकर विरोध किया। उन्होंने इसे जेडीयू के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया। इस विरोध के कारण उन्हें जेडीयू से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद अली अनवर की सक्रिय राजनीति में सक्रियता थम गई। अब कांग्रेस ने उन्हें अपने साथ लिया है।
भागीरथ मांझी, बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी के पुत्र, अपनी सादगी और संघर्ष की विरासत के लिए जाने जाते हैं। दशरथ मांझी की तरह, भागीरथ मांझी ने भी समाज के कमजोर और दलित वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। हालांकि उनका राजनीतिक करियर अभी शुरुआती दौर में है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, भागीरथ मांझी ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। हालांकि जेडीयू में शामिल होने के कुछ ही समय बाद, भागीरथ मांझी पार्टी की कार्यशैली और नीतियों से असंतुष्ट हो गए। पार्टी के भीतर उनकी भूमिका को सीमित करने और नेतृत्व की अनदेखी ने उन्हें निराश किया। अब भागीरथ मांझी ने जेडीयू छोड़कर कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। दिल्ली में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है।