पटना। पूर्व विधान पार्षद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. रणबीर नंदन ने नीतीश कुमार के ऊपर कांग्रेस नेताओं के हमले पर चुटकी ली है। रणबीर नंदन ने कहा कि जो कांग्रेस नीतीश कुमार को बिहार में अपना नेता नहीं मान रही, वह देश में गठबंधन का नेतृत्व कैसे दे देगी? पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव बाद विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A) के सहयोगियों के बीच खींचतान मनी है। नीतीश की पार्टी जदयू के दो नेता केसी त्यागी और अशोक चौधरी ने जब कांग्रेस को अहंकारी बताया तो पार्टी के नेता सामने आए। बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने जदयू के ऊपर सीधा हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में हमारा गठबंधन राजद के साथ है। उन्होंने लालू यादव को वादा याद कराते हुए नीतीश कैबिनेट में कांग्रेस को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिलाने की मांग की। इस पर प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों पर नीतीश अपमान का घूंट कैसे पी रहे हैं? कांग्रेस के पैरवीकार इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश की कब तक बेइजत्ती कराएंगे?
विपक्षी गठबंधन के नेता के रूप में नीतीश को कोई नहीं देख रहा
डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि नीतीश 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान बार-बार कहा था कि वे प्रधानमंत्री की रेस में नहीं हैं। वे जब तक भाजपा के साथ रहे, हमेशा कहते रहे कि प्रधानमंत्री पद पर नरेंद्र मोदी का विकल्प नहीं है। अचानक उन्हें केंद्र में अवसर दिखने लगा। उन्होंने विपक्षी गठबंधन का कुनबा तो खड़ा किया, लेकिन उसका नेता के रूप में उन्हें कोई स्वीकार नहीं कर रहा है।
जबर्दस्ती नीतीश खुद को ‘इंडिया’ का नेता बनाने की कोशिश कर रहे
डॉ. नंदन ने कहा कि नीतीश जबर्दस्ती खुद को I.N.D.I.A. का नेता बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कभी राजनीतिक कोपभवन में चले जाते हैं। कभी विपक्षी गठबंधन की बैठक में न जाने की बात कर रहे हैं। अब कांग्रेस ने उन्हें असली जगह दिखाई है। कांग्रेस कहती है कि देश में उनके 233 विधायक हैं। भाजपा बाद देश में वह सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में देश में विपक्षी गठबंधन का कोई नेतृत्व कर सकता है तो वह कांग्रेस है। इसमें नीतीश की जगह बनती दिख नहीं रही है। ऐसे में उनको भी अब अपने आप को विपक्षी गठबंधन का नेता बनने की हठधर्मिता छोड़नी चाहिए। वरना वह हंसी का पात्र बनते रहेंगे। प्रदेश के ऐसे-ऐसे कांग्रेसी नेता उन पर अब हमलावर हैं, जिनको अकेले चुनावी मैदान में खड़ा किया जाए तो जमानत भी बचा पाने में सफल न हों। इस प्रकार के नेताओं से अपना अपमान नीतीश जी कब तक सहते रहेंगे?