कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मानहानि मामले में राहुल को 2 साल सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिससे कांग्रेस नेताओं के हौसले काफी बुलंद हो गए हैं। राहुल की सदस्यता खत्म किए जाने से कांग्रेस नेता निराश हो गए थे, लेकिन अब एक बार फिर से नया जोश दिख रहा है। कांग्रेसी खेमा बहुत खुश है, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों में असुरक्षा का भाव भी दिख सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इंडिया गठबंधन के कई बड़े चेहरे भी राहुल गांधी की सजा पर लगी रोक का स्वागत कर रहे हैं। लेकिन राजनीति में हर फैसले के मायने होते हैं। इस फैसले के भी हैं, ऐसे मायने जो विपक्ष के नेताओ को इस समय शायद रास भी ना आएं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी खुशी मनाएं, लेकिन हौले-हौले।
फाइटर इमेज वाली छवि दिखाने की कोशिश
मानहानि केस में राहुल गांधी लगातार अपनी इस बात अड़े रहे कि वह माफी नहीं मांगेंगे। अंत तक उन्होंने माफी नहीं मांगी। निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। लेकिन माफी नहीं मांगने के अपने फैसले पर टिके रहे। अब सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद कांग्रेस पार्टी उनकी फाइटर इमेज वाली छवि दिखाने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर पहले चरण के भारत जोड़ो यात्रा के बाद से ही ये कहा जाने लगा था कि राहुल गांधी ने अपनी छवि को पूरी तरह बदल लिया है। जिस तरह से उन्होंने दक्षिण से उत्तर, पूरब से पश्चिम तक देश के कई राज्यों को कवर किया था, उनकी लोकप्रियता बढ़ी थी। इन सब के बीच राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण पर भी जल्द निकलने वाले हैं।
नीतीश कुमार की दावेदारी कमजोर होगी ?
इंडिया गंठबंधन में राहुल गांधी के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, एनसीपी प्रमुख शरद पवार जैसे नेता सबसे अहम हैं। राहुल की अनुपस्थिति में तो इन्हीं नेताओं में से किसी को ‘बड़ी जिम्मेदारी’ भी दी जा सकती थी। लेकिन अब जब राहुल गांधी की वापसी हो गई है, इस स्थिति में इन सभी नेताओं के दिलो-दिमाग में उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा बड़ी है। बदले हालात में सबसे अधिक नुकसान अगर किसी का होगा तो वे हैं नीतीश कुमार। जेडीयू की ओर से लगातार उनकी दावेदारी को मजबूत दिखाने की कोशिश होती रही है। ऐसे में राहुल गांधी की वापसी के साथ नीतीश की दावेदारी कमजोर करके देखा जा रहा है।
ममता बनर्जी के लिए भी खुशखबरी नहीं, पवार फिर बैकसीट पर
नीतीश को झटका है तो ये ममता बनर्जी के लिए भी कोई खुशखबरी नहीं है। जब तक राहुल गांधी रेस से बाहर थे, ममता की छवि ऐसी थी कि उन्हें बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा आक्रमक माना गया। उनकी दावेदारी भी काफी मजबूत थी। विपक्षी कुनबे में भी ममता की स्वीकार्यता थी। माना जा रहा था कि मोदी के खिलाफ ममता एक सॉलिड चेहरा हैं। उन्हें भी सबसे बड़ी चुनौती राहुल गांधी से ही मिलनी थी। लेकिन क्योंकि वे बाहर हो गए थे, ऐसे में ममता की दावेदारी पर क्या फुल स्टॉप लग गया है? ममता की तरह एनसीपी प्रमुख शरद पवार की भी जो थोड़ी बहुत दिल्ली पहुंचने की आस थी, उसको को बड़ा झटका है।
केजरीवाल नहीं बन पाएंगे विकल्प
नीतीश, ममता और पवार तो बड़े और अनुभवी नेता है, लेकिन कुछ सालों के अंदर में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी लोकप्रियता काफी बढ़ी है। पहले दिल्ली में प्रचंड बहुमत के साथ दो बार सरकार बनाई और फिर पंजाब में भी कांग्रेस को उखाड़ फेंका। इसके ऊपर कुछ समय पहले ही पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल गया है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की स्वीकृति दिल्ली-पंजाब के बाहर भी महसूस की जा रही है। उनकी आम आदमी वाली छवि लोगों के बीच पसंद की जाती है। लेकिन इन सभी खूबियों का फायदा तब तक था, जब तक राहुल पीएम रेस से बाहर थे।