हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव कौन लड़ेगा, इस पर चिराग पासवान और पशुपति पारस के अपने-अपने दावे हैं। अपनी दावेदारी को एक बार फिर मजबूत करते हुए चिराग पासवान ने कहा है कि उनकी बात बीजेपी के बड़े नेताओं से हो चुकी है। उन्होंने यह सीट मुझे देने के लिए अपनी सहमति दे दी है। आज अगर मैं ऐसा बोल रहा हूं तो गठबंधन ने मुझे इसका अधिकार दिया है। अगर चाचा को हाजीपुर से चुनाव लड़ना है तो पहले गठबंधन से बात कर लें और फिर कुछ दवा करें।
ग्रीन सिग्नल मिल जाए तब दावेदारी पेश करें
चिराग पासवान ने पशुपति पारस की दावेदारी को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि हाजीपुर सीट पर दावा करना है तो पहले गठबंधन में बात कर लें। जब दो घटक दल एक सीट को लेकर खींचतान करते हुए नजर आती है तो गठबंधन गलत स्थिति में दिखता है। इसलिए जो बातचीत उन्हें करनी है वह गठबंधन के भीतर करें ना कि बाहर। जब गठबंधन से आपको ग्रीन सिग्नल मिल जाए तो आप पूरी तरीके से दावा कर सकते हैं।
मुझे दाएं-बाएं जाने की आदत नहीं
इससे पहले अपनी दावेदारी को मजबूत करते हुए पशुपति पारस ने कहा था कि मैं हाजीपुर से हीं चुनाव लड़ूंगा। मैं अपने राजनीतिक जीवन के दौरान एनडीए के साथ रहूंगा और हाजीपुर के लोगों की सेवा करता रहूंगा। चिराग पासवान को वहां जाना चाहिए, जहां स्व. रामविलास पासवान उन्हें ले गए थे और उन लोगों की सेवा करनी चाहिए। मेरी तैयारी हाजीपुर में बीते 1 वर्ष से चल रही हैं। हाजीपुर का संगठन हो या पार्टी का संगठन 40 वर्षों से मैं लगातार जनता की सेवा में लगा हुआ हूं। पशुपति पारस ने कह दिया है कि चिराग के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। बता दे कि एनडीए गठबंधन में बीते दिनों चिराग पासवान भी शामिल हुए थे, जिसके बाद लग रहा था कि चाचा-भतीजे के बीच की दूरी कम होगी। लेकिन पशुपति पारस के इस बयान के बाद दूरी फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है।