पटना के गर्दनीबाग में 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के री एग्जाम की मांग को लेकर हजारों छात्र धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि परीक्षा में व्यापक धांधली हुई है। प्रदर्शन में शामिल छात्रों का नारा है: “री एग्जाम, री एग्जाम।”
छात्रों की मुख्य मांगें:
परीक्षा रद्द कर फिर से आयोजित की जाए।
सभी परीक्षा केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज जारी किए जाएं।
पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच हो।
प्रसिद्ध शिक्षक गुरु रहमान ने छात्रों के आंदोलन में शामिल होकर कहा कि “री एग्जाम ही छात्रों को शांत कर सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो बच्चे गांधीवादी तरीके से आंदोलन जारी रखेंगे।” उन्होंने बीपीएससी के चेयरमैन और सचिव पर आरोप लगाते हुए उन्हें “झूठा और रंगा सियार” करार दिया। गुरु रहमान ने कहा, “बच्चों से पहले मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं। आयोग को छात्रों की मांग माननी ही होगी।”
पप्पू यादव का समर्थन
पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने छात्रों का समर्थन करते हुए कहा “अगर परीक्षा रद्द नहीं हुई तो मैं छात्रों के साथ बीपीएससी के सामने धरने पर बैठूंगा।” “सरकार, प्रशासन और कोचिंग माफिया की मिलीभगत से पेपर लीक हुआ। चार लाख से ज्यादा अभ्यर्थी इससे प्रभावित हुए हैं।” उन्होंने बीपीएससी के अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई पर भी सवाल उठाए, जिनके खिलाफ विजिलेंस केस दर्ज है।
तेजस्वी यादव ने भी दिया समर्थन
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि वह उनके साथ हैं। उन्होंने कहा, “ईमानदार और मेहनती छात्रों के साथ न्याय होना चाहिए। परीक्षा को रद्द कर फिर से आयोजित किया जाए।”
13 दिसंबर: पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र देर से पहुंचने और पेपर लीक की अफवाहों के कारण छात्रों ने हंगामा किया।
16 दिसंबर: बीपीएससी ने बापू केंद्र की परीक्षा रद्द कर दी। अब यह परीक्षा 4 जनवरी को आयोजित की जाएगी।
छात्रों का कहना है कि सिर्फ एक केंद्र की परीक्षा रद्द करने से समस्या हल नहीं होगी।
आयोग पर आरोप है कि परीक्षा आयोजन में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
छात्रों के विरोध के दौरान पटना डीएम ने एक छात्र को थप्पड़ मार दिया, जिससे आक्रोश और बढ़ गया।
आंदोलन की स्थिति:
छात्रों के समर्थन में सामाजिक और राजनीतिक हस्तियां सामने आई हैं। सभी का कहना है कि छात्रों की मांगें जायज हैं, और आयोग को इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाना चाहिए।
छात्रों का आंदोलन तेजी से बढ़ रहा है। उनकी मांगों को नकारना सरकार और आयोग के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपने अधिकारों के लिए हर संभव संघर्ष करेंगे।