Bihar में महागठबंधन की सरकार का 7वां महीना चल रहा है। जब इस महागठबंधन का गठन हुआ तो इसके साझीदार दलों का कांफिडेंस इसी बात से समझा जा सकता था कि सबका एक ही कहना था कि भाजपा अकेले पड़ गई। महागठबंधन में 7 दल शामिल थे। इसमें जदयू, राजद, कांग्रेस, हम (सेक्युलर), सीपीआई, सीपीआई-एम और सीपीआई-एमएल भी शामिल है। 4 दल सरकार में हैं और 3 बाहर से समर्थन दे रहे हैं। महागठबंधन के वक्त तो भाजपा अकेली दिख रही थी। लेकिन सरकार गठन के 7 महीनों में 7 पार्टियों के महागठबंधन के खिलाफ भी 7 दल अब खड़े दिख रहे हैं। हर दल नीतीश-तेजस्वी सरकार की राह में रोड़े डालने का प्रयास कर रहा है। नीतीश-तेजस्वी ने जिस तरह 7 दलों को साथ कर भाजपा के खिलाफ चक्रव्यूह रचा था, अब उसका जवाब भी सरकार को वैसे ही मिल रहा है।
इन 7 ‘दलों’ ने नीतीश-तेजस्वी सरकार के खिलाफ तैयार किया चक्रव्यूह
- BJP : निश्चित तौर पर नीतीश-तेजस्वी सरकार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत भाजपा है। भाजपा बिहार पर एकछत्र राज के लिए बार-बार कसमसा कर रह जाती है। 2015 में तो भाजपा इसी प्रयास में छितर गई थी। लेकिन हर चुनाव में भाजपा इसका प्रयास करती रही है, आगे भी करेगी ही।
- LJP (रामविलास) : नीतीश-तेजस्वी की दूसरी सबसे बड़ी मुश्किल चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा (रामविलास) है। 2020 के चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को बिहार में तीसरे नंबर पर धकेल दिया। पार्टी टूटने के बाद भी चिराग पासवान का जलवा कम नहीं हुआ है और उपचुनावों में नीतीश-तेजस्वी दोनों के उम्मीदवार को हरवा चुके हैं।
- RLJP : चिराग पासवान से अलग होने के बाद पशुपति कुमार पारस गुट वाली रालोजपा के पास भले ही कोई विधायक नहीं है। लेकिन पांच सांसदों के साथ रालोजपा बिहार से लोकसभा में तीसरे नंबर की पार्टी है। एनडीए की मुखर सहयोगी है और महागठबंधन के खिलाफ ही रहेगी।
- RLJD : उपेंद्र कुशवाहा की इस नई पार्टी के पास कितनी ताकत है, इसका पता अभी नहीं चल सकता। क्योंकि कुशवाहा का दावा है कि जदयू से कई लोग उनकी पार्टी में आगे शामिल होंगे। ऐसे में उनकी असली ताकत चुनाव में पता चलेगी। लेकिन इतना तो तय है कि इनकी ताकत जितनी भी हो, नीतीश-तेजस्वी के खिलाफ ही रहेगी।
- RCP Singh : जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। तब से लगातार वे नीतीश-तेजस्वी के खिलाफ मुहिम चलाए हुए हैं। पूरे बिहार में घूम कर नीतीश कुमार को अक्षम बता रहे हैं। आरसीपी कोई नया दल बनाएंगे या किसी दूसरे दल में शामिल होंगे, इसका खुलासा तो अभी तक नहीं किया है। लेकिन रहेंगे नीतीश-तेजस्वी के खिलाफ ही, इतना तय है।
- AIMIM : 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी तक पहुंचने से रोक देने में अगर एनडीए का बड़ा योगदान था, तो AIMIM का भी कम योगदान नहीं था। AIMIM ने जीत तो सिर्फ 5 सीटों पर दर्ज की थी। लेकिन दर्जन भर सीटों को प्रभावित कर दिया था। हालांकि AIMIM के 5 में से 4 विधायक अब राजद में शामिल हो चुके हैं। लेकिन AIMIM ने अभी हार नहीं मानी है। 2022 में हुए 3 उपचुनावों में अगर महागठबंधन की हार हुई तो उसमें भी बड़ा फैक्टर AIMIM के उम्मीदवार रहे हैं।
- JanSuraaj : कभी नीतीश कुमार के ड्राइंगरुम में उनके लिए नीतियां बनाने वाले प्रशांत किशोर जनसुराज पदयात्रा कार्यक्रम में नीतीश-तेजस्वी सरकर को पानी पी-पी कर कोस रहे हैं। प्रशांत किशोर ने अभी राजनीतिक दल नहीं बनाया है। लेकिन यह कह दिया है कि दल बनेगा तो उसका नाम जनसुराज ही होगा। यानि उनका भी देर-सबेर राजनीति में आना तय है। लेकिन आने से पहले ही वे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के खिलाफ ताल ठोक चुके हैं।
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