बिहार अब चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। जाहिर है इस साल नेता और नेतागिरी दोनों सक्रिय होंगे। ऐसे में बयानों के जरिए राजनीति को गरम रखने की कवायद अभी से शुरू है। एक ओर बिहार की जनता ठंड में कांप रही है तो उसी दौर में बिहार के नेताओं ने अपने बयानों की धुंध में कंफ्यूजन की गरमी से बिहार की सियासत गरमाने की कोशिश शुरू कर दी है। हर दल इसमें शामिल है और बयानों की इस धुंध में जनता की समझ कुंद हो रही है।
लालू के बयान से मची हलचल… CM नीतीश ने जोड़ लिए हाथ, JDU-BJP ने किया पलटवार
दरअसल, भाजपा और राजद दोनों दलों के नेताओं ने अपने बयानों से कंफ्यूजन का पूरा माहौल गरम कर दिया है। एक बार किसी भाजपाई नेता को फिर से नीतीश वाले नारे से मोहब्बत हो जाती है तो अगले ही पल उसी नेता को नीतीश के सिर का ताज खटकने लगता है।
दिसंबर के आखिरी हफ्ते में एनडीए के घटक दलों के प्रदेश अध्यक्षों की बैठक के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि 2025 में चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। दूसरे ही दिन दिलीप जायसवाल कहने लगे कि एनडीए का नेतृत्व तो उनकी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा। इसके बाद जब भाजपा के कोर कमिटी की मीटिंग हुई तो दिलीप जायसवाल फिर से नीतीश के गुण गाने लगे और उन्हें नेता बताने लगे। लब्बोलुआब यह रहा कि कुछ ही दिनों के अंतर में दिलीप जायसवाल के अलग अलग बयानों ने बिहार में एनडीए के नेता के नाम पर कंफ्यूजन फैलाया।
अगली बारी उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा की थी, जिन्होंने बिहार में भाजपा की अपनी सरकार का शिगूफा ऐसा छोड़ा कि सबको दिलीप जायसवाल का बयान फिर याद आ गया। हालांकि अगले ही दिन विजय कुमार सिन्हा अपने बयान से फिर पलट ही गए।
एक तरफ भाजपा के नेता अपने बयानों से 2025 के चुनाव में एनडीए के नेता पद पर कंफ्यूजन फैला रहे थे तो दूसरी ओर राजद भी कहीं कम नहीं है। नीतीश कुमार के एक बार फिर राजद के साथ आने की अटकलों पर तेजस्वी यादव ने स्पष्ट कहा कि उनके लिए राजद ने दरवाजे बंद कर दिए हैं। अभी यह बयान चर्चा में आया कि लालू यादव ने कहा कि नीतीश अगर आते हैं तो उनका स्वागत है। इस तरह लालू-तेजस्वी ने अपने बयानों से नीतीश के राजद के साथ आने पर कंफ्यूजन फैला दिया।
इसी तरह बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की एंट्री और उनके दौरे भी कम कंफ्यूजन नहीं फैला रहे। उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी होते ही राजद ने आशंका व्यक्त की थी कि यह भाजपा की कोई चाल है। लेकिन अब जब आरिफ मोहम्मद खान पटना आ गए हैं तो शपथ के पहले ही वे लालू-राबड़ी आवास पर उनसे मिलने चले गए।