2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की हैट्रिक रोकने के लिए जमा हुए 28 दलों का इतिहास अलग अलग ही रहा है। पटना से मुंबई वाया बेंगलुरु के सफर में I.N.D.I.A. ने 15 से 28 दलों का सफर पूरा कर लिया। लेकिन इन दलों का इतिहास मजेदार है। दरअसल, इन 28 दलों में से 07 दल तो ऐसे हैं, जिनका अस्तित्व ही कांग्रेस से टूटकर बना है। वहीं 07 दल ऐसे भी हैं, जो कभी न कभी भाजपा के साथ एनडीए के हिस्सेदार रहे हैं। वहीं मौजूदा स्थिति में इन 28 दलों में से 14 की हालत ऐसी है कि इनके नुमाइंदों को I.N.D.I.A. के को-ऑर्डिनेशन कमेटी में जगह नहीं दी गई है।
इन दलों को नहीं मिली को-ऑर्डिनेशन कमेटी में जगह
दरअसल, I.N.D.I.A. की तीसरी बैठक में बनी को-ऑर्डिनेशन कमेटी में 14 सदस्य रखे गए हैं। इन सदस्यों में वे नेता शामिल हैं, जो अपनी पार्टी के मुखिया हैं या फिर मुख्य नेता। कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, जदयू, डीएमके, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और सीपीआई (ML) के प्रतिनिधियों को को-ऑर्डिनेशन कमेटी में जगह दी गई है। लेकिन 14 दल ऐसे भी हैं, जिन्हें जगह नहीं दी गई है। इनमें ये दल शामिल हैं
- सीपीआईएम
- आरएलडी
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
- केरल कांग्रेस (M)
- मनीथानेया मक्कल काची (MMK)
- एमडीएमके
- वीसीके
- आरएसपी
- केरला कांग्रेस
- केएमडीके
- एआईएफबी
- अपना दल कमेरावादी
- पीजेंट्स एंड वर्कर पार्टी ऑफ इंडिया
ये 07 दल कांग्रेस से टूटकर बने हैं
I.N.D.I.A. की अबतक की प्रगति और पुराना इतिहास देखें तो कांग्रेस ही इस गठबंधन की लीडर पार्टी है। अन्य दल कहीं न कहीं कांग्रेस के पीछे ही हैं। वैसे एक स्थिति यह भी है कि इस गठबंधन में शामिल 28 दलों में से 07 दल ऐसे हैं, जो कांग्रेस से टूटकर ही बने हैं। ये दल पहले थे कांग्रेस का हिस्सा –
- केरल कांग्रेस : जिस केरल की वायनाड लोकसभा सीट से राहुल गांधी सांसद हैं, वहां कांग्रेस अब तक दो बार टूट चुकी है। पहले 1964 में के.एम. जॉर्ज और आर. बालकृष्ण पिल्लई के नेतृत्व में केरल कांग्रेस का गठन हुआ।
- केरल कांग्रेस (M) :1979 में केरल कांग्रेस में फूट के बाद केरल कांग्रेस (M) का गठन हुआ।
- तृणमूल कांग्रेस : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कभी कांग्रेस की कद्दावर नेत्री थीं। लेकिन 1 जनवरी 1998 को ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस का गठन कर कांग्रेस से किनारा कर लिया।
- राष्ट्रवादी कांग्रेस : जिस सोनिया गांधी की सरपरस्ती में कांग्रेस सबसे अधिक वक्त तक चली है, उसी का विरोध कर राष्ट्रवादी कांग्रेस का जन्म हुआ था। 10 जून 1999 को शरद पवार, पी. ए. संगमा और तारिक अनवर ने राष्ट्रवादी कांग्रेस की स्थापना की थी। इसमें शरद पवार तो अभी भी एनसीपी में ही हैं जबकि तारिक अनवर कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। इन नेताओं ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था।
- पीडीपी : पीडीपी की स्थापना 1999 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की थी। कांग्रेस से अलग होकर अपनी बेटी महबूबा मुफ्ती के साथ मुफ्ती मोहम्मद सईद ने पीडीपी का गठन किया।
- रालोद : पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह बड़े कांग्रेसी नेता थे। लेकिन पार्टी की नीतियां उन्हें रास नहीं आई तो पार्टी और संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने भारतीय किसान कामगार पार्टी की स्थापना की और 1997 के उपचुनाव में बागपत से लोकसभा चुनाव जीते। 1999 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल नाम से पार्टी बनाई, जो अभी I.N.D.I.A. का हिस्सा है।
- एआईएफबी : 1939 में कांग्रेस से अलग होकर सुभाष चंद्र बोस ने अलग होकर इस पार्टी की स्थापना की थी।
I.N.D.I.A. में शामिल ये 07 दल रहे हैं एनडीए का हिस्सा
- शिवसेना (उद्धव गुट) : भाजपा की सरकार के खिलाफ मुंबई में हुई I.N.D.I.A. की बैठक की मुख्य आयोजक शिवसेना (उद्धव गुट) अर्से तक भाजपा की सहयोगी दल रही है। वैसे तो एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना का एक हिस्सा अभी भी भाजपा के साथ है, लेकिन अविभाजित शिवसेना भी एनडीए का हिस्सा रही है। भाजपा और शिवसेना का अलगाव 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद हो गया था।
- एनसीपी : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का जन्म कांग्रेस की अध्यक्ष चुनीं गईं सोनिया गांधी के विदेशी मूल के कारण हुआ। इसके बावजूद कांग्रेस की केंद्रीय सत्ता में वापसी के साथ ही एनसीपी कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए का हिस्सा हो गई। लेकिन 2014 में शिवसेना और भाजपा के बीच खराब होते रिश्तों के कारण एनसीपी ने एनडीए को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। लेकिन शिवसेना और भाजपा के बीच सब ठीक हो गया और तब एनसीपी एनडीए का हिस्सा नहीं बन पाई। इसके बाद 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद एनसीपी ने भाजपा को समर्थन देकर सरकार बनाई लेकिन सरकार तीन दिन में गिर गई। वैसे अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी का एक हिस्सा अभी भी भाजपा के साथ महाराष्ट्र की सरकार में शामिल है।
- पीडीपी : 2014 में जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन सरकार बनाने तक नहीं पहुंच सकी। तब भाजपा ने पीडीपी को समर्थन दिया। सरकार के मुखिया मुफ्ती मुहम्मद सईद बने। उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती राज्य की सीएम बनी। लेकिन बाद में भाजपा के समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई।
- जदयू : वैसे तो I.N.D.I.A. के गठन में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की भूमिका सबसे बड़ी है। लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू सालों तक एनडीए का हिस्सा रही है। केंद्र से लेकर बिहार में दोनों ने सालों तक एक दूसरे के साथ राजनीति की है। लेकिन 2013 में नरेंद्र मोदी के पीएम उम्मीदवार बनने पर नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ अटल-आडवाणी युग से चली आ रही दोस्ती तोड़ दी। हालांकि 2017 में नीतीश कुमार ने एनडीए में फिर वापसी कर ली। लेकिन 2022 में वे एनडीए से फिर निकल गए।
- टीएमसी : अटल-आडवाणी युग में भाजपा की एक और सहयोगी रहीं ममता बनर्जी को भी नरेंद्र मोदी नहीं भाते। 1999 में एनडीए सरकार में रेल मंत्री रहीं और 2003 में कोयला मंत्री रहीं ममता बनर्जी आज उसी कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा और एनडीए को हटाने की मुहिम में जुटी हैं, जिससे नाता तोड़ कर उन्होंने नई पार्टी बनाई थी।
- राष्ट्रीय लोकदल : चौधरी अजित सिंह ने 1999 में रालोद का गठन किया था। वे अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में अजित सिंह शामिल हो गए। तब भी वे केंद्रीय मंत्री बने। अब I.N.D.I.A. का हिस्सा हैं। हालांकि उनकी पार्टी के किसी नेता को उस को-ऑर्डिनेशन कमेटी का हिस्सा नहीं बनाया गया है, जो भाजपा के खिलाफ गठबंधन की नीतियों का समन्वय करेगी।
- केएमडीके : तमिलनाडु की केएमडीके पार्टी भी एनडीए में शामिल रही है।