अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को भव्य श्री राम मंदिर के होने वाले उद्घाटन के बीच उड़ीसा सरकार द्वारा पुरी में 800 करोड़ रुपये की लागत से जगन्नाथ पुरी मंदिर का कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इस बात को लेकर केवल उड़ीसा हेई नहीं, पुरे देशभर में सियासी हलचल तेज़ हो गयी है। कई राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा भाजपा की धार्मिक राजनीति को काउंटर करने का ये धार्मिक लिबास ओढ़े एक राजनीतिक हथकंडा ही प्रतीत होता है। कॉरिडोर निर्माण में हालांकि मंदिर के अंदर कुछ विशेष बदलाव नहीं किया गया है बल्कि मंदिर की बाहरी दीवार के ही चारों तरफ जगह का विस्तार किया गया है और जनता के लिए कई साधनों-प्रसाधनों का निर्माण वहां किया जा रहा है।
उड़ीसा भाजपा के प्रदेश महामंत्री जतिन मोहंती का मानना है कि उड़ीसा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक ही साथ होना है और ऐसे में आगामी चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार यह कोशिश कर रही है कि किस प्रकार से इस आस्था को राजनीति में बदला जाए। जनता की आस्था का राजनीतिक इस्तेमाल करते हुए वोट लेने का प्रयास है ये, बस! आपको बता दें कि पूरी में इस कॉरिडोर की स्थापना के बीच सरकारी रथ में जगन्नाथ भगवान की छोटी सी मूर्ति को दीन-हीन स्थिति में रखकर, उसके अगल-बगल नवीन पटनायक और उनके अधिकारियों के बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाकर पूरे प्रदेश भर में घुमाया जा रहा है। मोहंती ने इस पर टिपण्णी करते हुए कहा कि जनता के बीच कॉरिडोर प्रचार के लिए रथ घुमाना, वो भी जगन्नाथ भगवान की प्रतिमा को दीन-हीन स्थिति में बिठाकर, मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों का होर्डिंग लगाकर, आस्था का विषय नहीं बल्कि पूरी तरह से राजनीति करने की कोशिश है। इसके लिए सरकार ने हर पंचायत को 2-2 लाख की सहायता देने की घोषणा की है। जतिन मोहंती का ऐसा भी आरोप है कि इस फण्ड से 20-20 हजार रुपए अधिकारी कमीशन के लिए रख रहे हैं। उड़ीसा में कई जगह पर सरपंचों ने इस बात का विरोध भी किया है कि हमें जो 2-2 लाख दिया गया था, उसमें से 20-20 हजार कम हैं जो कमीशन के रूप में रख लिया गया है। मोहंती ने कहा, राम मंदिर, या महाकाल कॉरिडोर या कशी विश्वनाथ कॉरिडोर आदि का न किसी ने क्रेडिट लिया और न ही जनता को न्योता भेजा गया कि आप आयें और देंखे कि हमने यह काम किया है ! राम मंदिर में पूजित अक्षत को हमने लोगों के बीच वितरित किया, न कि उलटे उनसे माँगा। जबकि यहाँ तो जगन्नाथ पुरी की संस्कृति के विपरीत आमंत्रण के लिए घर घर से चावल और सुपारी मंगवाया जा रहा है ,जबकि प्रथा तो ये है कि ये चावल और सुपारी लोगो के यहाँ आमंत्रण की सौगात के रूप में भेजे जाते हैं।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री ने बताया कि कुछ दिन पहले जगन्नाथ भगवान के प्रचार-प्रसार के लिए इन्होंने एक ब्लॉगर भी हायर किया, जिसका नाम कामिया जानी है। वही कामिया जानी जो केरल और गोवा में होटल में बीफ का प्रचार करने के लिए गौ-मांस के वीडियो बनाए थे। वहीं महिला अब जगन्नाथ भगवान के मंदिर में जाए तो ये जगन्नाथ संस्कृति के लिए विपरीत है। जगन्नाथ पुरी मंदिर में गौ मांस खाने वालों के लिए प्रवेश निषेध है। जगन्नाथ पुरी मंदिर का मैनेजमेंट प्रदेश सरकार के पास है और इसी सरकारी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए ऐसे गोमांस भक्षी को प्रचार के लिए लिया जाना राजनीतिक दुरुपयोग ही नहीं बल्कि एक जघन्य अपराध भी है और ये जनता की आस्था और भक्ति को चोट पहुंचाने का ही काम है।
फिलहाल मंदिर को सुंदर बनाने के लिए कई सजावटी काम किये जा रहे हैं। साथ ही मंदिर के पास से अतिक्रमण को हटाकर कुछ प्रसाधन (बाथरूम) और कुछ शौपिंग मॉल सहित एक छोटा मार्केट बनाया गया है। मोहंती ने इसपर कहा कि इसमें कुछ गलत नहीं और हम इसका समर्थन भी करते हैं। पर इस विषय को लेकर जिस प्रकार से उड़ीसा सीएम द्वारा अपनी राजनीति को साधने की कोशिश की जा रहीं है, वो गलत है। जगन्नाथ पुरी मंदिर कॉरीडोर के निर्माण की तुलना राम मंदिर निर्माण से करना पूर्णतः गलत होगा। राम मंदिर जहाँ भक्ति और आस्था का विषय है, वही जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर एक विशुद्ध राजनीति है और इसी का विरोध हम कर रहे हैं।