बक्सर लोकसभा क्षेत्र के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होना है। यहां से राजद, भाजपा, बसपा, जन सुराज सहित अन्य दलों और निर्दलीय को मिलाकर 9 प्रत्याशी मैदान में हैं। राजद के सामने 2020 में जीती हुई अपनी सीट पर फिर से काबिज होने की चुनौती है। तो भाजपा साल 2015 के इतिहास को दोहराने की जद्दोजहद से गुजर रही है। यहां बसपा भी लड़ाई में पूरा हिस्सा ले रही है। साल 2020 के चुनाव में बसपा को यहां से मात्र 189 वोट से हारना पड़ा था। अपनी हार को वह इस बार जीत में तब्दील करने के लिए पसीना बहा रही है। वहीं, जन सुराज पार्टी भी लड़ाई की धार को अपने पक्ष में मोड़ने की फिराक में है। जनसुराज ने सुशील कुशवाहा को टिकट दिया है। सुशील कुशवाहा लंबे समय से बहुजन समाज पार्टी से जुड़े रहे हैं। वर्ष 2019 में बक्सर से लोकसभा चुनाव लड़े थे और तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में उन्हें 80,261 मत प्राप्त हुआ था।
राजद का गढ़ है रामगढ़
राजद का गढ़ कहे जाने वाले रामगढ़ में पहली बार साल 2015 में भाजपा ने कमल खिलाया था, लेकिन साल 2020 के चुनाव में भाजपा तीसरे पायदन पर चली गई। इस बार फिर भाजपा से अशोक सिंह मैदान में हैं। साल 2020 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व विधायक अंबिका सिंह के भतीजे सतीश सिंह पर पार्टी ने दांव खेला है। रामगढ़ सीट से इस बार इंडिया गठबंधन के घटक दल राजद से अजीत कुमार सिंह, एनडीए गठबंधन के भाजपा से अशोक कुमार सिंह, बसपा से सतीश सिंह उर्फ पिंटू यादव, जन सुराज पार्टी से सुशील कुशवाहा चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। ये सभी चुनाव मैदान में एक-दूजे को टक्कर देने के लिए तैयार हैं।
रामगढ़ का जातीय समीकरण
जातिगत समीकरण की नजरों से देखे तो रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आबादी के हिसाब से नंबर वन राजपूत जाति है। इनकी संख्या करीब कुल वोटों का 21% है। दूसरे नंबर पर मुस्लिम मतदाता हैं, ये कुल मतों में 8.5% हिस्सेदारी रखते हैं। वहीं 6.8 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर यादव वोटर हैं। राजद उम्मीदवार अजीत सिंह और भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह की दावेदारी राजपूत वोटों पर है।
तरारी विधानसभा उपचुनाव : माले के गढ़ में क्या सेंध लगा पाएगी भाजपा और जनसुराज
रामगढ़ और जगदानंद सिंह
जातीय समीकरण में उलझी रामगढ़ सीट पर विधानसभा उपचुनाव नाक की लड़ाई है। वो इसलिए कि इस सीट पर राजद के बिहार ‘मुखिया’ यानी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लग चुकी है। रामगढ़ ही वो सीट है जहां से जगदानंद सिंह पहली बार जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद उनका और रामगढ़ सीट का नाता ही बन गया। धीरे-धीरे रामगढ़ विधानसभा सीट का मतलब ही जगदानंद सिंह हो गया। इसकी वजह थी 1985 से ले कर 2005 तक लगातार जीत का परचम लहराना। इस बीच जगदानंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी और विश्वसनीय नेताओं में शुमार किए जाने लगे। जल संसाधन मंत्री के रूप में काफी ख्याति भी मिली। अब उनके बेटे अजीत कुमार सिंह की जीत से ही उनकी प्रतिष्ठा भी जुड़ गई है।