बिहार के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के विवादित बयान को लेकर बिहार की सियासत उठापटक तेज हो गई है। भारत 1947 में नहीं बल्कि 1977 में आजाद हुआ था। सम्राट चौधरी के दिए इस बयान को लेकर जबरदस्त विरोध शुरु हो गया है। विपक्षी दलों ने सम्राट चौधरी पर आरोपों के वौछार कर दिए। उनपे फर्जी डिग्री रखने से लेकर स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने का आरोप लगा है। इतना ही नहीं विपक्ष के नेता ने तो आजादी के अमृत महोत्सव मनाने पर सवाल उठा दिए है।
विपक्षी नेता का कहना है कि देश जब 1947 में आजाद नहीं हुआ तो भाजपा वाले आजादी का अमृत महोत्सव क्यूं मना रहें हैं। भाजपा नेता केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में कहता है कि देश को आजादी 1947 में नहीं मिली इसके बावजूद कोई कुछ नहीं कहता है। राजनीति में इस तरह के ज्ञान देने वाले लोगों को डूब मरना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए बीजेपी जल्द से जल्द दंड निर्धारित करें।
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“देश 1947 में नहीं 1977 में आजाद हुआ”
दरअसल, बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का एक बयान सामने आया है। जिसमें वह करते दिख रहे हैं कि भारत को 1947 में नहीं बल्कि 1977 में आजादी मिली थी। देश को 1947 में आजादी मिली लेकिन इस आजादी को हम मानने वाले व्यक्ति नहीं हैं क्योंकि भारत को अंग्रेजों ने जरूर छोड़ दिया लेकिन नए अंग्रेज देकर चले गए। संपूर्ण आजादी 1977 में मिली जब नई सरकार बनी। मैं उसी को संपूर्ण क्रांति मानता हूं। जिसके बाद विपक्ष के नेताओं द्वारा उनका जोरदार विरोध हो रहा है।
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जदयू के एमएलसी नीरज कुमार ने कहा है कि भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी एक फर्जी डिग्री वाले को दे दी है। इनके पास ज्ञान का अभाव है। फर्जी डिग्री लेकर अपने आप को ज्ञानी बताते हैं। आज यह देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आजादी के नायकों का अपमान किया है। इनके पास ज्ञान का अभाव है, फर्जी डिग्री लेकर अपने आप को ज्ञानी बताते हैं।
JDU नेता ने BJP से मांगी सफाई
इसके साथ ही नीरज कुमार ने इस मामले में भाजपा से सफाई देने को कहा है। नीरज कुमार ने कहा कि सम्राट चौधरी यह कहते हैं कि 1947 में देश आजाद नहीं हुआ तो पीएम मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को इस पर अपनी सफाई देनी चाहिए कि आखिर किस तरह भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष इस तरह की बात कर रहे हैं। क्या वजह है कि 1947 को जब भारत को आजादी मिली तो भाजपा के लोग इसे मानने को तैयार नहीं है तो फिर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का का नाटक क्यूं करते हैं।