[Team insider] झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन जेएसएससी में हिंदी को ऑप्शनल में जोड़ने को लेकर भाजपा विधायक शिवपूजन मेहता ने सवाल पूछा था। उन्होंने पूछा था कि राज्य के हिंदी भाषी छात्र जानना चाहते हैं कि क्या सरकार उनके लिए कुछ सोच रही है। इस पर सीएम हेमंत सोरेन ने सदन में कहा कि जेएसएससी में इंटर और मैट्रिक स्तर तक क़ी नियुक्ति में हिंदी पहले से ही है। इसे आप्शनल रखने का कोई औचित्य नहीं है। यह बातें सदन के अंदर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही। उन्होंने कहा कि पहले से ही हिंदी और अंग्रेजी में पास होना अनिवार्य है। अभी तो स्थानीय भाषा को जोड़ने पर काम हो रहा है।
सीएम हेमंत ने आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा को लपेटा
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक लंबोदर महतो ने मुख्यमंत्री राज्य के पिछड़ों को महाराष्ट्र और तमिलनाडु के तर्ज पर झारखंड में भी पिछड़ी जाति को 36 से 50 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी सरकार से अनुशंसा की है कि महाराष्ट्र और तमिलनाडु के तर्ज पर झारखंड में भी पिछड़ों को 36 प्रतिशत आरक्षण दी जाए। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने भूमिका तैयार कर ली है।
विपक्ष पहले यह बताए कि पिछड़ों के आरक्षण को पहले 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत किसने किया। पूर्व में सदन के नेता ने भी कहा है कि पिछड़ों का आरक्षण नहीं बढ़ेगा। हमेशा सदन में तमिलनाडु और महाराष्ट्र का उदाहरण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में पिछड़ों के आरक्षण को बढ़ाया गया है उसके आधार पर राज्य सरकार अन्य राज्यों का अध्ययन कर विधि सम्मत निर्णय लेगी।
वर्षों से विस्थापन की समस्या झेल रहा है झारखंड
CM हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में विस्थापन गंभीर समस्या है। झारखंड वर्षों से विस्थापन की समस्या झेल रहा है। खनन कार्य 100 वर्षों से चल रहा है। उन्होंने कहा कि विस्थापन आयोग के गठन का मामला सरकार के पास विचाराधीन है और सरकार बहुत जल्द इसपर निर्णय लेने जा रही है।
डेढ़ लाख विस्थापित परिवार को नहीं मिला है मुआवजा
मुख्यमंत्री सदन में आजसू विधायक सुदेश महतो के द्वारा मुख्यमंत्री प्रश्न काल मे पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। इससे पहले विधायक सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री से जानना चाहा कि सरकार कबतक राज्य में विस्थापन आयोग का गठन करेगी। उन्होंने कहा कि वर्षों से राज्य के लगभग डेढ़ लाख विस्थापित परिवार को मुआवजा नहीं मिला है। धड़ल्ले खनन हो रहा है। टंडवा, पतरातू, केरेडारी में 120 दिन से लोग धरना पर बैठे हुए है। महिलाएं सड़क पर खड़ी है।