झारखंड में चुनावी रण की स्थिति साफ होने लगी है। एनडीए और इंडी गठबंधन ने अधिकतर करोड़पति प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। 2019 में प्रत्याशियों के दिए गए शपथ पत्र के आधार पर कांग्रेस के चतरा उम्मीदवार केएन त्रिपाठी सबसे अमीर हैं। वहीं, गोड्डा से चुनाव लड़ रहे भाजपा के निशिकांत दुबे दूसरे नंबर पर हैं। निशिकांत सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे भी हैं।
भाजपा के लोहरदगा प्रत्याशी समीर उरांव सबसे गरीब और उनके बाद भाकपा माले के विनोद सिंह हैं। केएन त्रिपाठी के पास 53.53 करोड़ की संपत्ति थी। उन पर 40 लाख रुपए की देनदारी भी थी। निशिकांत दुबे ने 2019 लोकसभा चुनाव में करीब 46 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की थी। उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि ली है। समीर उरांव करीब 18.50 लाख के मालिक है। उन पर 4.50 लाख की देनदारी भी है। कोडरमा से चुनाव लड़ रहे विनोद सिंह के पास करीब 26.71 लाख की संपत्ति है।
शिक्षा की बात करें तो गोड्डा के भाजपा उम्मीदवार निशकांत दुबे ने डॉक्टरेट किया है। वहीं से कांग्रेस ने दीपिका पांडेय सिंह को उतारा है। दीपिका ने एक्सआईएसएस से एमबीए किया है। अन्नपूर्णा देवी, गीता कोड़ा, विनोद कुमार सिंह और सुखदेव भगत पोस्ट ग्रेजुएट हैं। अर्जुन मुंडा, कालीचरण सिंह मुंडा, विद्युत वरण महतो, सीता सोरेन, नलिन सोरेन और ढुल्लू महतो 12वीं पास हैं। जबकि, मथुरा महतो, जोबा मांझी व विजय हांसदा ने 10वीं तक की शिक्षा ली है।
इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे झारखंड के प्रत्याशियों की औसत उम्र 50 साल है। दुमका से झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन सबसे उम्रदराज है। 2019 में उन्होंने सिकारीपाड़ा से विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में नलिन ने अपनी उम्र 71 साल बताई थी। पानी में 76 साल के हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी उम्र 68 बताई थी। धनबाद से कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह सबसे कम उम्र की हैं। उनकी उम्र 39 साल है। इसके बाद सिंहभूम की भाजपा उम्मीदवार गीता कोड़ा की 40 और राजमहल के झामुमो प्रत्याशी विजय कुमार हांसदा की है। 2019 चुनाव में गीता 35 और विजय ने अपनी उम्र 36 साल घोषित की थी।
प्रत्याशियों पर दर्ज मामले देखें तो 2019 में सबसे ज्यादा 5 केस केएन त्रिपाठी पर थे। निशिकांत ढुल्लू पर 4-4 मामले थे। विद्युतवरण महतो और सीता सोरेन पर 3-3 केस दर्ज थे। दीपिका, विनोद सिंह, चंद्रप्रकाश चौधरी, नलिन सोरेन और जयप्रकाश पटेल पर 2-2 केस दर्ज थे। गीता कोड़ा, मनीष जायसवाल, सुखदेव भगत और ताला मरांडी पर 1-1 केस थे। अर्जुन मुंडा, कालीचरण मुंडा, संजय सेठ, अन्नपूर्णा देवी, विष्णुदयाल राम, मथुरा महतो, जोबा माझी, समीर उरांव, विजय हांसदा व अनुपमा पर केस नहीं है।