झारखंड में राजनीतिक उहापोह की स्थिति लगातार बनी हुई है। JMM ने हेमंत सोरेन का इस्तीफा दिलवा चंपाई सोरेन को नया सीएम बनाकर सरकार तो बचा ली। लेकिन कांग्रेस के विधायकों की परेशानी झारखंड के सियासी हालात को मुश्किल में डाल रही है। एक तरफ कांग्रेस अपने विधायकों की बातें सुन रही है। तो दूसरी ओर JMM के एक तीर ने एक साथ तीन दलों को घायल करने की योजना बना ली है। विधायकों के साथ समझौते के मूड में आई कांग्रेस को जेएमएम की एक मांग परेशान कर सकती है। यही मांग बिहार में राजद और बंगाल में टीएमसी के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकती है।
सरकार से नहीं हैं नाराज़ झारखंड कांग्रेस के विधायक
दरअसल, जेएमएम के सबसे बड़े नेता हेमंत सोरेन भले ही जेल में हैं, पार्टी इस कारण दबाव में नहीं आना चाहती है। सामने लोकसभा चुनाव है और उसके छह माह बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसी स्थिति में जेएमएम का स्टैंड साफ है कि विपक्ष को जवाब देते रहने के साथ सहयोगियों पर भी दबाव बनाए रखना है। बताया जा रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लोकसभा चुनाव में 12 सीटों पर दावा किया है। यह दावा बड़ा है। क्योंकि इसमें सिर्फ झारखंड की सीटें ही शामिल नहीं हैं। जेएमएम इंडी गठबंधन के तहत 5 राज्यों में चुनाव लड़ना चाहती है और राज्य में उसे सीट चाहिए।
5 राज्यों में चाहिए JMM को सीटें
JMM 5 राज्यों में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती है। इसमें झारखंड की 7 सीटों पर जेएमएम चुनाव लड़ने को इच्छुक है। जबकि झारखंड के अलावा JMM को बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में लोकसभा सीटें चाहिए। अगर जेएमएम की बात सुनी जाती है तो बिहार में राजद की मुश्किल बढ़ जाएगी। जबकि असम और ओडिशा में कांग्रेस को सीटें शेयर करनी पड़ेंगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की भी परेशानी बढ़ेगी क्योंकि झारखंड और बंगाल दोनों सीमावर्ती राज्य हैं और बड़ी संख्या में झारखंड के लोग बंगाल में रहते हैं।
लोकसभा की सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और जेएमएम के बीच बैठक हो चुकी है। इस बैठक में कांग्रेस की तरफ से मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद और राजेश ठाकुर थे। वहीं, JMM की तरफ से मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के साथ सुप्रियो भट्टाचार्य, विनोद पांडेय और विधायक सुदिव्य कुमार सोनू थे।