हनुमान चालीसा में एक चौपाई है। ‘संकट कटे मिटे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बल बीरा।’ कर्नाटक चुनाव परिणाम को देख कर यह यह पंक्ति बीजेपी पर बिल्कुल सटिक बैठ रही है। हनुमान जी के भरोसे चुनाव लड़ी बीजेपी का संकट हनुमान जी नहीं मिटा पाए। परिणाम देखकर लगता है कि बजरंगबली बीजेपी से नाराज हो गए हैं। बजरंगबली भाजापा को संजीवनी बूटी नहीं दी। क्योंकि कर्नाटक चुनाव परिणाम के रुझाानों में कांग्रेस सरकार बनाती दिख रही है। वहीं बीजेपी बहुमत से काफी पीछे चल रही है।
बजरंग बली का मुद्दा छाया रहा
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बजरंग बली का मुद्दा छाया रहा। दरअसल, कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल के जिक्र के बाद भाजपा ने ‘बजरंगबली’ के नाम पर वोट मांगना शुरू किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी जनसभाओं में बजरंगबली का जिक्र करना नहीं भूले। यह चुनाव प्रचार ‘बजरंगबली’ के आसपास केंद्रित होकर रह गया था।
रुझानों में कांग्रेस बहुमत पार
शुरुआती रुझानों में लगातार आंकड़े बदल रहे हैं। कांग्रेस बड़ी बढ़त बनाते हुए बहुमत का आंकड़ा पार कर गई है। कांग्रेस 117 सीटें और भाजपा 83 सीटों पर आगे चल रही है। भाजपा अपने गढ़ बेंगलुरु में भी पिछड़ गई है। चुनाव परिणाम के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर दोपहर तक सामने आने की उम्मीद है। राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को चुनाव में 73.19 प्रतिशत का ‘रिकॉर्ड’ मतदान दर्ज किया गया था।