कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खडगे के सामने चुनौतियों का अंबार है। 24 साल बाद कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई गैर गांधी फैमिली का नेता बैठा है। तो उसकी पहली चुनौती तो अपना महत्व साबित करने की होगी। लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जीत से अधिक जरुरी कुछ नहीं है। निर्वाचन होते ही दो राज्यों में चुनाव सामने हैं। हिमाचल प्रदेश में चुनाव शेड्यूल घोषित हो चुका है। गुजरात में भी चुनाव की घोषणा जल्दी ही होगी। ऐसे में खडगे की पहली परीक्षा इसी में होगी। हालांकि 2024 के पहले खडगे के सामने चुनौतियों की तरह चुनावों की भी सीरीज है।
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हिमाचल-गुजरात में अग्निपरीक्षा
इस साल दो राज्यों के विधानसभा चुनाव तय हैं। इसमें पहले हिमाचल प्रदेश में चुनाव हो रहा है। जबकि दूसरा चुनाव गुजरात में होगा। इन दोनों में भाजपा की ही सरकार है। लेकिन कांग्रेस को इन दोनों राज्यों में उम्मीद है। ऐसे में खडगे के प्रदर्शन की अग्निपरीक्षा इन दोनों राज्यों के चुनाव में होगी। हिमाचल में हर टर्म के बाद सरकार बदलने का ट्रेंड है। तो कांग्रेस अपनी जीत इस टोटके के आधार पर भी देख रही है। जीत मिली तो खडगे को सुकून मिलेगा। दूसरी ओर गुजरात में 27 साल से जमे भाजपा को पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अच्छी टक्कर दी थी। तो इस बार और बेहतर प्रदर्शन का दबाव है। दोनों में कांग्रेस का प्रदर्शन पहले से बेहतर हुआ तो खडगे अग्निपरीक्षा पार कर जाएंगे।
असली परीक्षा 2023 में
वैसे हिमाचल और गुजरात दोनों अभी भाजपा शासित प्रदेश हैं। इसलिए कांग्रेस के पास इन चुनावों में सिर्फ पाने का दबाव है। लेकिन 2023 में कांग्रेस के पास अपना खो देने से बचाने का भी दबाव होगा। तभी राष्ट्रीय अध्यक्ष खडगे की असली परीक्षा होगी। दरअसल, 2023 में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम के साथ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होंगे। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। अब यही दोनों राज्य हैं, जहां कांग्रेस अपने बूते सरकार में है। ऐसे में 7 राज्यों में सत्ता पर कब्जा होने से ज्यादा जरुरी कांग्रेस के लिए राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बचाना होगा। ऐसे में खडगे की असली परीक्षा 2023 में होगी।