पिछले कुछ महीनों में जनता दल यूनाइटेड में शीर्ष पदों पर बैठे नेता ही बाहर हो जा रहे हैं। कभी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आरसीपी सिंह हों या जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, दोनों अब पार्टी से बाहर हैं। दोनों पर आरोप एक ही है कि वे भाजपा के करीब होते हुए जदयू को नुकसान पहुंचा रहे थे। हालांकि आरसीपी ने जदयू छोड़ते वक्त इसे डूबता जहाज बताया। तो उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी छोड़ते समय कहा कि ये तो शुरुआत है। तो कहीं इन दोनों की बात सच तो नहीं हो रही, ये बड़ा सवाल है। क्योंकि जदयू नेता व राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ भी पार्टी में माहौल बनने लगा है।
बिहार को मिले सात नए IPS ऑफिसर
हरिवंश से नाराज हैं ललन सिंह
आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा दोनों के मामले में आगे बढ़कर विरोध के बोली की शुरुआत जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने की। इस बार हरिवंश के मामले में भी ललन सिंह ही आगे आए हैं। उन्होंने हरिवंश नारायण सिंह पर भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। ललन सिंह ने हरिवंश के कामकाज के तरीके पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि “हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति हैं और उन्हें पता होना चाहिए कि जो भी लोकसभा में होता है, उसे राज्यसभा में नहीं लाया जाता है। साथ ही राज्यसभा में जो चर्चा की जाती है, उसे लोकसभा के सामने नहीं लाया जाता है। लेकिन जिस तरह से इन दिनों सरकार चलाई जा रही है, यह है संभव है कि किसी ने हरिवंश पर कुछ कहने के लिए दबाव डाला हो।”
ललन ने हरिवंश को पढ़ाया नैतिकता का पाठ
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खासे नाराज हैं। नाराजगी का स्तर ये है कि ललन सिंह ने हरिवंश को नैतिकता का पाठ भी पढ़ा दिया। एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार के दबाव में हरिवंश आ गए होंगे। इसलिए उन्होंने राहुल गांधी पर टिप्पणी की। यह नैतिकता के खिलाफ है। ललन सिंह के बयान पर अभी हरिवंश की टिप्पणी नहीं आई है।
राहुल गांधी पर हरिवंश ने की थी टिप्पणी
दरअसल, हरिवंश से नाराजगी के पीछे का कारण उनका राहुल गांधी पर दिया गया एक बयान है। राहुल गांधी ने अपने लंदन दौरे के दौरान भारत में लोकतंत्र और मीडिया की स्थिति पर नकारात्मक टिप्पणी की थी। लंदन में इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के सदस्यों के साथ एक बातचीत में राहुल ने कहा था कि संसद में विपक्षी नेताओं के माइक्रोफोन बंद कर दिए जाते हैं। इसी बात पर हरिवंश ने कहा था कि “यह बिल्कुल गलत, निराधार है। इससे ज्यादा झूठ कुछ नहीं हो सकता। मैं पिछले नौ साल से संसद में हूं और मैंने एक बार भी नहीं सुना। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक मुझे पता है, न तो संसद के अंदर और न ही बाहर किसी ने कभी ऐसा कहा है… इससे ज्यादा असत्यापित कुछ भी नहीं हो सकता है।”