जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का एक बड़ा सपना टूट गया है। चार महीने पहले जब केंद्र सरकार नए संसद भवन का उद्घाटन कर रही थी तब ललन सिंह उसे बदलने का सपना देख रहे थे। उन्होंने कहा था कि सरकार बदलेगी तो नए संसद भवन को बदल देंगे। ललन सिंह नए संसद भवन से दूसरा काम कराना चाहते थे। लेकिन वह ऐसा नहीं करा सकेंगे, क्योंकि संसद की शिफ्टिंग प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में नए संसद में चली विशेष सत्र की कार्यवाही में शामिल ललन सिंह अपनी बात को याद यह सोच रहे होंगे कि… छन से जो टूटा कोई सपना..।
इतिहास बदलने की कोशिश का लगाया था आरोप
बता दें कि देश के नए संसद भवन का बीते 28 मई को उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। उस समय विपक्षी पार्टियों ने भारी बवाल मचाया था। नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बिहार में जेडीयू ने भी विरोध किया। उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि भाजपा संसद भवन के जरिए इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है। हम इतिहास बदलने के भागीदार नहीं बनेंगे। उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि केंद्र में सरकार बदलेगी तो नए संसद भवन से दूसरा काम किया जाएगा। नए संसद भवन में सदन नहीं चलाएंगे। वहीं सीएम नीतीश कुमार ने भी खुले तौर पर कहा था कि नए संसद की तो जरुरत नहीं थी।
पुरानी संसद में पीएम ने दी 50 मिनट की आखिरी स्पीच
पुरानी संसद में सोमवार को पीएम मोदी ने 50 मिनट की आखिरी स्पीच दी। पीएम ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा- ये वो सदन है, जहां पंडित नेहरू का स्टोक्स ऑफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करता है। इदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था। उन्होंने कहा, आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन के रूप में पहचान मिली। पीएम ने कहा कि इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है। हम इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है। उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है।