लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का गठबंधन I.N.D.I.A. तैयार हो चुका है। पटना और बेंगलुरु में दो बैठकें भी हो गई हैं। लेकिन इन दोनों बैठकों में बस इतना ही फैसला हो चुका है कि इस गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. होगा और सभी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। चर्चा रही है कि नीतीश कुमार इस I.N.D.I.A. के कन्वीनर बनेंगे। लेकिन बेंगलुरु की बैठक में 11 सदस्यीय समन्वय समिति के प्रस्ताव को आगे कर कांग्रेस ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया। लेकिन बिहार की राजनीतिक गलियारों में अभी भी यही चर्चा है कि नीतीश के कन्वीनर बनने की उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। क्योंकि इसके लिए कोशिश अब लालू यादव करेंगे। बताया यह भी जा रहा है कि मंगलवार को दिल्ली जा रहे लालू यादव के मुख्य एजेंडा में नीतीश कुमार को कन्वीनर बनाने के लिए कांग्रेस से बात करना भी है।
सोनिया, राहुल, खड़गे से होगी लालू की मुलाकात?
दरअसल, लालू यादव मंगलवार को दिल्ली जा रहे हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली में लालू यादव की मुलाकात कांग्रेस के बड़े नेताओं से होगी। इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से लालू यादव की मुलाकात हो सकती है। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि लालू यादव इस बार कांग्रेस के नेताओं से नीतीश कुमार की पैरवी करेंगे, ताकि मुंबई की बैठक में नीतीश कुमार को I.N.D.I.A. का कन्वीनर घोषित किया जा सके। पिछले कुछ दिनों में लालू यादव की राजनीतिक सक्रियता लगातार बढ़ी है। पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में तो लालू यादव सक्रिय रहे ही। बेंगलुरु की बैठक में भी लालू यादव पहुंचे।
बेंगलुरु बैठक के बाद नीतीश-लालू की मुलाकातें
वैसे तो बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश कुमार और लालू यादव साथ ही गए थे। वहां से आने के बाद लालू यादव और नीतीश कुमार की कई मुलाकातें भी हुई हैं। राजगीर में मलमास मेले का उद्घाटन करने के बाद पटना पहुंचे नीतीश कुमार ने उस दिन भी लालू यादव से मुलाकात की थी। बताया यह जा रहा है कि एनडीए छोड़ने के बाद भाजपा के खिलाफ जिस प्रकार नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास किया, उसके लिए कन्वीनर पद की आकांक्षा है। कन्वीनर पद इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अगर I.N.D.I.A. लोकसभा चुनाव 2024 में जीत दर्ज करता है कि तो इतने विपक्षी दलों में से पीएम कौन बनेगा, इसका फैसला बहुत हद तक कन्वीनर के उपर ही डिपेंड करेगा।
कांग्रेस को नहीं है नीतीश पर पूरा भरोसा?
इतना तो स्पष्ट है कि नीतीश कुमार की कोशिशों का ही नतीजा है कि कई ऐसे दल भी एक टेबल पर आने को तैयार हुए, जो अब तक एक दूसरे के खिलाफ थे। लेकिन इतना करने के बाद भी शायद कांग्रेस को नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस ने 11 सदस्यीय समन्वय समिति का प्रस्ताव इसीलिए रखा, ताकि सबकुछ एक व्यक्ति के कंट्रोल में न रहे। चूंकि नीतीश कुमार बिहार में एक बार गठबंधन तोड़ने के साथ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को जदयू में साथ ले जा चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस अभी नीतीश कुमार को लेकर सधे कदमों से चल रही है। लेकिन लालू यादव के बीच में आने का क्या असर होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।